सरकार ने Air India की बोली नियमों में दी ढील, 2018 की तुलना में बनाया आसान

सरकार ने सोमवार को Air India में 100 फीसद हिस्‍सेदारी बेचने को लेकर आरंभिक सूचना जारी की है।

By NiteshEdited By: Publish:Mon, 27 Jan 2020 03:43 PM (IST) Updated:Mon, 27 Jan 2020 03:43 PM (IST)
सरकार ने Air India की बोली नियमों में दी ढील, 2018 की तुलना में बनाया आसान
सरकार ने Air India की बोली नियमों में दी ढील, 2018 की तुलना में बनाया आसान

नई दिल्ली, पीटीआइ। Air India के विनिवेश को और अधिक आकर्षक बनाने की कोशिश में सरकार ने बोली मानदंडों में ढील दी है, जिसमें संभावित बोलीदाताओं के लिए नेटवर्थ 3,500 करोड़ रुपये और व्यक्तिगत कंसोर्टियम पार्टनर के लिए न्यूनतम हिस्सेदारी 10 फीसद से कम कर दी गई है।

सरकार ने सोमवार को Air India में 100 फीसद हिस्‍सेदारी बेचने को लेकर आरंभिक सूचना जारी की है। बोली दस्‍तावेज के अनुसार, रणनीतिक विनिवेश के तहत सरकार एयर इंडिया एक्‍सप्रेस में अपनी 100 फीसद हिस्‍सेदारी और ज्‍वाइंट वेंचर AISATS में 50 फीसद हिस्‍सेदारी बेचेगी। 

PIM (प्रारंभिक सूचना ज्ञापन ) डिटेल के बारे में जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने कहा, एक इकाई 'अपने पेरेंट्स की ताकत' पर एयर इंडिया के लिए बोली लगा सकती है, जो पहले नहीं थी। बोली प्रक्रिया के अनुसार, कंसोर्टियम विनिवेश प्रक्रिया में भाग ले सकता है, बशर्ते प्रत्येक भागीदार की कम से कम 10 फीसद हिस्सेदारी हो और साथ ही वह 3,500 करोड़ रुपये की  नेट असेट्स के 10 फीसद  की जरूरतों को पूरा करता हो।

नागरिक उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा, लगभग 60,000 करोड़ रुपये के संचित कर्ज की वजह से एयर इंडिया की वित्तीय स्थिति बेहद नाजुक है और कहा जा सकता है कि एयर इंडिया कर्ज के जाल में बुरी तरह फंसी है।

Civil Aviation Minister Hardeep Singh Puri: Due to its accumulated debt of around Rs 60,000 Crores the financial position could be described as very fragile and Air India can only be described as being under a debt trap. https://t.co/sXzDgCAydi" rel="nofollow — ANI (@ANI) January 27, 2020

एक कंसोर्टियम के प्रमुख सदस्य की कम से कम 26 फीसद हिस्सेदारी होनी चाहिए। व्यक्तियों को कंसोर्टियम के हिस्से के रूप में बोली लगाने की अनुमति है। इसके अलावा, बिना नेटवर्थ के घरेलू वाहक की 51 फीसद तक हिस्सेदारी हो सकती है जबकि साझेदार को 3,500 करोड़ रुपये के नेटवर्थ मानदंडों का पालन करना होगा।

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