त्योहारी सीजन में मिल सकता है दूसरा आर्थिक पैकेज, शहर के बेरोजगार लोगों को मिल सकती है राहत

दूसरे आर्थिक पैकेज के तहत मुख्य रूप से शहरी बेरोजगारों को ध्यान में रखा जाएगा। इन्हें रोजगार देने के लिए मनरेगा की तर्ज पर कोई स्कीम लाई जा सकती है। इस स्कीम को लागू करने के लिए सरकार एक निश्चित फंड देगी।

By Ankit KumarEdited By: Publish:Fri, 25 Sep 2020 08:17 PM (IST) Updated:Sat, 26 Sep 2020 04:21 PM (IST)
त्योहारी सीजन में मिल सकता है दूसरा आर्थिक पैकेज, शहर के बेरोजगार लोगों को मिल सकती है राहत
पहले आर्थिक पैकेज से ग्रामीण इलाके की आर्थिक गतिविधियों को पटरी पर लाने में सफलता मिली है। (PC: PTI)

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। त्योहारी सीजन में मांग व खपत को प्रोत्साहित करने के लिए सरकार दूसरा आर्थिक पैकेज दे सकती है। इस संबंध में वित्त मंत्रालय में मंत्रणा शुरू हो चुकी है। दूसरे आर्थिक पैकेज के तहत मुख्य रूप से शहरी बेरोजगारों को ध्यान में रखा जाएगा। इन्हें रोजगार देने के लिए मनरेगा की तर्ज पर कोई स्कीम लाई जा सकती है। इस स्कीम को लागू करने के लिए सरकार एक निश्चित फंड देगी। रोजगार के नाम पर मिलने वाले इन पैसों को खर्च करने से मांग व खपत में बढ़ोतरी होगी।

21 लाख करोड़ के पहले आर्थिक पैकेज से ग्रामीण इलाके की आर्थिक गतिविधियों को पटरी पर लाने में सफलता मिली है और अब शहरी क्षेत्र में मांग व खपत के चक्र में तेजी लाने की तैयारी की जा रही है। एचयूएल जैसी कंज्यूमर गुड्स कंपनियां भी इस बात को कह चुकी है कि शहरी क्षेत्र की खपत में बढ़ोतरी नहीं हो पा रही है। मुख्य आर्थिक सलाहकार भी कई बार सार्वजनिक रूप से कह चुके हैं कि कोरोना पर काफी हद तक काबू पाने के बाद और आर्थिक गतिविधियों के सामान्य होने पर दूसरे आर्थिक पैकेज दिए जाएंगे ताकि लोग खुलकर खर्च कर सके और अर्थव्यवस्था को उसका लाभ मिल सके। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी कह चुकी हैं कि सरकार ने आर्थिक पैकेज को लेकर अपना विकल्प बंद नहीं किया है।

सूत्रों के मुताबिक कोरोना की वैक्सीन बहुत जल्द आने को लेकर अभी भी संशय बरकरार है। ऐसे में त्योहारी सीजन के दौरान मांग और खपत के चक्र में तेजी लाने पर गंभीरता से विचार किया जा रहा है। त्योहार के दौरान खरीदारी का उपयुक्त मौका होता है। इसलिए त्योहार से पहले कोरोना की वजह से बेरोजगार हुए शहरी क्षेत्रों के श्रमिकों के लिए आर्थिक पैकेज का एलान किया जा सकता है। देश के कई आर्थिक विशेषज्ञों के साथ सभी औद्योगिक संगठन भी सरकार से दूसरे आर्थिक पैकेज की मांग कर चुके हैं। चालू वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही में जीडीपी में 23.9 फीसद की गिरावट के बाद यह मांग और तेज हो गई है।

हालांकि अभी इस बात पर फैसला नहीं हो सका है कि दूसरे आर्थिक पैकेज में कितनी धनराशि का प्रावधान किया जाएगा। मंत्रालय सूत्रों के मुताबिक पैकेज को देने से पहले इस बात का भी ध्यान रखा जाएगा कि कहीं इससे भारत की क्रेडिट रेटिंग तो खराब नहीं हो रही है। मंत्रालय इस बात की भी समीक्षा कर रहा है कि पहले आर्थिक पैकेज के तहत सीधे तौर पर कितनी राशि लोगों के हाथ में पहुंची और उसके क्या परिणाम हुए।

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