IL&FS संकट से उबारने पर सरकार की नजर, एलआइसी भी आई आगे

मंगलवार को सरकार की प्रमुख वित्तीय कंपनी एलआईसी ने भी बाजार व निवेशकों को इस बारे में भरोसा दिलाया।

By NiteshEdited By: Publish:Wed, 26 Sep 2018 11:55 AM (IST) Updated:Thu, 27 Sep 2018 07:03 AM (IST)
IL&FS संकट से उबारने पर सरकार की नजर, एलआइसी भी आई आगे
IL&FS संकट से उबारने पर सरकार की नजर, एलआइसी भी आई आगे

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। सरकार की तरफ से पहले ही इस बात के संकेत दे दिए गए थे कि संकट से जूझ रही गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनी इन्फ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज लि. (आइएलएंडएफएस) को संभालने में कोई कसर नहीं छोड़ा जाएगी।

मंगलवार को सरकार की प्रमुख वित्तीय कंपनी एलआईसी ने भी बाजार व निवेशकों को इस बारे में भरोसा दिलाया। वित्त मंत्रालय में आइएलएंडएफएस की स्थिति को लेकर मंगलवार को भी गहन विचार विमर्श का दौर चला। बैठक में वित्त मंत्री अरुण जेटली, आरबीआइ के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य, एलआइसी के चेयरमैन वीके शर्मा समेत दूसरे वित्तीय संस्थानों के आला अधिकारी मौजूद थे। बैठक के बाद एलआइसी चेयरमैन ने कहा, ‘यह सुनिश्चित किया जाएगा कि आइएलएंडएफएस धवस्त न हो और न ही इसका संकट किसी दूसरे क्षेत्र में फैले। हमने सारे विकल्प खुले रखे हैं।’

आइएलएंडएफएस के पक्ष में सरकार की तरफ से यह बयान तब आया है जब इस कंपनी के ऊपर वित्तीय संकट को लेकर नई सूचनाएं आ रही हैं। सोमवार को इसने स्वयं ही शेयर बाजार को बताया था कि उसकी एक सब्सिडियरी वाणिज्यिक प्रपत्रों पर देय ब्याज का भुगतान नहीं कर पायी। पिछले एक महीने में तीन बार ऐसा हो चुका है।

बाजार के कुछ बड़े शेयर ब्रोकिंग एजेंसियों ने अपनी रिपोर्ट में यह आशंका जतायी है कि यह संकट दूसरी एनबीएफसी कंपनियों या म्चुयुअल फंडों में भी फैल सकता है क्योंकि इन सभी ने आइएलएंडएफएस में निवेश कर रखा है। यह एक वजह है कि सरकार ने एलआइसी को आगे आकर यह आश्वासन देने को तैयार किया है कि संकट को दूसरे क्षेत्र में फैलने नहीं दिया जाएगा।

सरकार की तरफ से यह बात मंगलवार को भी दोहरायी गई कि आइएलएंडएफएस एक स्वतंत्र निकाय है और इस संकट से उसे स्वयं ही उबरना है। लेकिन यह भी माना जा रहा है कि आंतरिक तौर पर उन सभी विकल्पों पर विचार भी किया जा रहा है जिससे इस संकट को पसरने से रोका जा सके।

सरकार सीधे तौर पर इस कंपनी में कोई हिस्सेदारी नहीं रखती है लेकिन एलआइसी और एसबीआइ इसके दो बड़े शेयरधारक है। सबसे बड़े हिस्सेदार जापान की कंपनी ऑरिक्स और अबूधाबी की एक वित्तीय एजेंसी है। ऐसे में आइएलएंडएफएस को बचाने की जिम्मेदारी भी भारतीय वित्तीय संस्थानों की ही होगी। माना जा रहा है कि किसी विपरीत स्थिति में एलआइसी की भूमिका महत्वपूर्ण होगी।

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