Franklin Templeton MF ने कहा, गुजरात हाई कोर्ट के आदेश का कर रहे जांच, कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग प्रक्रिया पर लगाई थी रोक

बता दें कि ई-वोटिंग विंडो को 9 जून को खोलने और 11 जून को बंद करना था और 12 जून को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से यूनिट होल्डर्स की बैठक होनी थी।

By NiteshEdited By: Publish:Fri, 05 Jun 2020 05:41 PM (IST) Updated:Sat, 06 Jun 2020 08:59 AM (IST)
Franklin Templeton MF ने कहा, गुजरात हाई कोर्ट के आदेश का कर रहे जांच, कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग प्रक्रिया पर लगाई थी रोक
Franklin Templeton MF ने कहा, गुजरात हाई कोर्ट के आदेश का कर रहे जांच, कोर्ट ने इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग प्रक्रिया पर लगाई थी रोक

नई दिल्ली, पीटीआइ। Franklin Templeton Mutual Fund ने शुक्रवार को कहा कि वह गुजरात के उच्च न्यायालय द्वारा पारित आदेश की जांच कर रहा है, जिसने फंड हाउस की छह लोन स्कीम को पूरा करने के लिए इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग प्रक्रिया पर रोक लगा दी है।

बता दें कि ई-वोटिंग विंडो को 9 जून को खोलने और 11 जून को बंद करना था, और 12 जून को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से यूनिट होल्डर्स की बैठक होनी थी। फंड हाउस ने प्रभावित निवेशकों को दो विकल्प दिए थे, जिनमें ट्रस्टियों द्वारा संपत्ति का विमुद्रीकरण या प्रक्रिया का संचालन करने के लिए तीसरे पक्ष को काम पर रखना था। इन प्रस्तावों के अलावा निवेशकों के पास दोनों प्रस्तावों में से किसी एक के लिए भी 'वोट' देने का विकल्प होगा, लेकिन इससे स्कीम की संपत्ति के विमुद्रीकरण में देरी होगी।

निवेशकों की ओर से उच्च न्यायालय में याचिका दायर की गई थी, जिसमें फंड हाउस की ओर से लोन योजनाओं को बंद करने का आरोप लगाया गया था। Franklin Templeton MF के प्रवक्ता ने कहा, 'मौजूदा समय में हम मामले की जांच कर रहे हैं और आवश्यकतानुसार उचित कदम उठाएंगे।'

इन योजनाओं में फ्रैंकलिन इंडिया लो ड्यूरेशन फंड, फ्रैंकलिन इंडिया डायनेमिक एक्यूरल फंड, फ्रैंकलिन इंडिया क्रेडिट रिस्क फंड, फ्रैंकलिन इंडिया शॉर्ट टर्म इनकम प्लान, फ्रैंकलिन इंडिया अल्ट्रा शॉर्ट बॉन्ड फंड और फ्रैंकलिन इंडिया इनकम अपॉर्चुनिटी फंड शामिल थीं।

इससे पहले, मद्रास उच्च न्यायालय ने Franklin Templeton MF और बाजार नियामक सेबी को एक निवेशक समूह, चेन्नई फाइनेंशियल मार्केट्स अकाउंटेबिलिटी (सीएफएमए) द्वारा याचिका दायर करने के बाद नोटिस जारी किया था, जिसमें फंड हाउस द्वारा लगभग 28,000 करोड़ रुपये के निवेशकों की सुरक्षा के लिए छह योजनाओं में फंसे धन को बंद कर दिया गया था। 

अदालत ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए तथा आम जनता के पैसे के बर्बाद होने के खतरे के मद्देनजर सेबी को निवेशकों के समूह के अनुसार कार्रवाई पर स्टेटस रिपोर्ट के साथ अपना जवाब दाखिल करने को कहा है।

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