FPI Investment: FPI के तहत सितंबर में अब तक हुआ 21,875 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश
FPI के तहत अब तक सितंबर में कुल 21875 करोड़ रुपये का नेट इनवेस्टमेंट हुआ है। डिपॉजिटरी से मिले आंकड़ों के मुताबिक 1 से 23 सितंबर के बीच विदेशी निवेशकों ने शेयर में 13536 करोड़ रुपये और डेट सेग्मेंट में 8339 करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया।
नई दिल्ली, पीटीआइ। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) सितंबर महीने में अब तक 21,875 करोड़ रुपये के निवेश के साथ शुद्ध खरीदार थे। डिपॉजिटरी से मिले आंकड़ों के मुताबिक, एफपीआई ने 1 से 23 सितंबर के दौरान इक्विटी में 13,536 करोड़ रुपये और डेट सेग्मेंट में 8,339 करोड़ रुपये का निवेश किया, जिससे कुल शुद्ध निवेश 21,875 करोड़ रुपये का हो गया। अगस्त में एफपीआई 16,459 करोड़ रुपये के शुद्ध खरीदार थे।
मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर (रिसर्च) हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, "भारतीय इक्विटी बाजारों में तेजी, सकारात्मक दीर्घकालिक दृष्टिकोण, इकोनॉमी के बाउंस बैक करने की उम्मीद और कॉर्पोरेट आय में सुधार ने विदेशी निवेशकों को भारतीय इक्विटी में फिर से निवेश करने के लिए प्रेरित किया है। इसके अलावा, चीन में उथल-पुथल से भी भारत को फायदा हुआ है, जिससे यह लंबी अवधि के दृष्टिकोण से विदेशी निवेशकों के बीच एक आकर्षक निवेश गंतव्य बना हुआ है।"
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा, "भारत में नए सिरे से एफपीआई की दिलचस्पी आंशिक रूप से इस साल एमएससीआई वर्ल्ड इंडेक्स और एमएससीआई ईएम इंडेक्स के मुकाबले निफ्टी के प्रभावशाली प्रदर्शन के कारण है।"
कोटक सिक्योरिटीज के कार्यकारी उपाध्यक्ष (इक्विटी तकनीकी अनुसंधान) श्रीकांत चौहान ने अन्य उभरते बाजारों के संबंध में जानकारी देते हुए यह बताया कि, "ताइवान ने कुल 1,482 मिलियन अमरीकी डालर के एफपीआई प्रवाह की सूचना दी है। समीक्षाधीन अवधि के दौरान दक्षिण कोरिया, थाईलैंड, इंडोनेशिया और फिलीपींस में एफपीआई प्रवाह क्रमशः 1,223 मिलियन अमरीकी डालर, 358 मिलियन अमरीकी डालर, 268 मिलियन अमरीकी डालर और 38 मिलियन अमरीकी डालर रहा।"
इसके अलावा चौहान ने यह भी कहा कि, "अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा दर में वृद्धि के बाद, उभरते बाजारों में एफपीआई प्रवाह अस्थिर रहने की उम्मीद है। दरों में वृद्धि के बाद, एफपीआई उभरते बाजारों से बाहर निकलना शुरू कर देंगे, क्योंकि वे ऐसा मानते हैं कि, यह विकसित अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में जोखिम भरा है।"