तेल में गिरावट और रुपये की मजबूती से बाजार में लौटी विदेशी पूंजी

देश के शेयर बाजार में सूचीबद्ध सबसे अधिक बाजार पूंजीकरण (एमकैप) वाली 10 कंपनियों में से सात के एमकैप में पिछले सप्ताह कुल 70,867 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई

By Praveen DwivediEdited By: Publish:Mon, 19 Nov 2018 09:04 AM (IST) Updated:Mon, 19 Nov 2018 09:04 AM (IST)
तेल में गिरावट और रुपये की मजबूती से बाजार में लौटी विदेशी पूंजी
तेल में गिरावट और रुपये की मजबूती से बाजार में लौटी विदेशी पूंजी

नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआइ) ने अक्टूबर में बड़े पैमाने पर देश से पूंजी बाहर निकालने के बाद नवंबर में अब तक करीब 8,285 करोड़ रुपये का भारतीय पूंजी बाजार (शेयर बाजार और डेट बाजार) में फिर से निवेश कर दिया है। कच्चे तेल की कीमतों में हाल में गिरावट, डॉलर के मुकाबले रुपये में मजबूती और भारतीय कंपनियों की वित्तीय स्थिति में सुधार के कारण विदेशी निवेशकों ने फिर से भारतीय पूंजी बाजार में दिलचस्पी दिखाई है।

एफपीआइ ने अक्टूबर में भारतीय पूंजी बाजार से 38,900 करोड़ रुपये से अधिक निकाल लिए थे, जो करीब दो साल में सर्वाधिक निकासी है। सितंबर में भी एफपीआइ ने पूंजी बाजार से 21,000 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की थी। इसके पहले जुलाई और अगस्त में उन्होंने 7,500 करोड़ रुपये भारतीय बाजार में लगाए थे। डिपॉजिटरी के आंकड़े के मुताबिक 1-16 नवंबर के दौरान एफपीआइ ने भारतीय शेयर बाजार में 3,862 करोड़ रुपये का निवेश किया और डेट बाजार में 4,423 करोड़ रुपये लगाए, जिससे एफपीआइ का भारतीय पूंजी बाजार में कुल निवेश 8,285 करोड़ रुपये (1.14 अरब डॉलर) हो गया।

विशेषज्ञों की राय: मॉर्निगस्टार इन्वेस्टमेंट एडवाइजर इंडिया के सीनियर एनालिस्ट मैनेजर (रिसर्च) हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट, डॉलर के मुकाबले रुपये में मजबूती और कंपनियों की वित्तीय स्थिति में सुधार के कारण विदेशी पूंजी देश में लौटी है। वैश्विक परिस्थितियों के बारे में उन्होंने कहा कि अमेरिका और चीन के बीच बढ़े व्यापारिक तनावों के कारण उभरते बाजारों में अनिश्चितता बढ़ी है। इसके साथ ही दुनियाभर में ब्याज दर में बढ़ोतरी से विदेशी निवेशक अधिक जोखिम नहीं लेना चाह रहे हैं। इसलिए वे अन्य आकर्षक और सुरक्षित विकल्पों की तरफ बढ़ रहे हैं।

उन्होंने कहा कि विदेशी पोर्टफालियो निवेशकों की निगाह मोटे तौर पर रुपये की चाल, कच्चे तेल की कीमतों, घरेलू कंपनियों की वित्तीय स्थिति, राज्यों के चुनाव तथा अगले साल होने वाले आम चुनाव से संबंधित घटनाक्रमों पर बनी रहेगी।

सात कंपनियों के एम-कैप में हुई बढ़ोतरी: देश के शेयर बाजार में सूचीबद्ध सबसे अधिक बाजार पूंजीकरण (एमकैप) वाली 10 कंपनियों में से सात के एमकैप में पिछले सप्ताह कुल 70,867 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी हुई। रिलायंस इंडस्ट्रीज (आरआइएल) का एमकैप सबसे अधिक बढ़ा और उसने टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस) को पीछे छोड़ते हुए सबसे मूल्यवान कंपनी का दर्जा फिर से हासिल कर लिया। आरआइएल का एमकैप 21,646.06 करोड़ रुपये बढ़कर 7,14,668.54 करोड़ रुपये हो गया। इस दौरान हिंदुस्तान यूनिलीवर का एमकैप 3,939.66 करोड़ रुपये, एचडीएफसी का 12,192.45 करोड़ रुपये, एचडीएफसी बैंक का 13,385.01 करोड़ रुपये, भारतीय स्टेट बैंक का 6,514.95 करोड़ रुपये और आइसीआइसीआइ बैंक का 7,520.86 करोड़ रुपये बढ़ा। कोटक महिंद्रा बैंक का एमकैप 5,667.87 करोड़ रुपये बढ़ा और वह टॉप 10 क्लब में शामिल हो गया।

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