निर्यातकों को मिलने लगेगा सस्ता कर्ज, सरकार जल्द लॉन्च करेगी निर्भीक योजना

अगर निर्यातकों को खरीदार से पैसा वापस नहीं मिलता है या किसी अन्य कारणों से कर्ज लेने वाला निर्यातक कर्ज नहीं चुका पाता है तो भी बैंक को कर्ज की 90 फीसद राशि वापस मिल जाएगी।

By Pawan JayaswalEdited By: Publish:Fri, 28 Feb 2020 08:18 AM (IST) Updated:Fri, 28 Feb 2020 02:17 PM (IST)
निर्यातकों को मिलने लगेगा सस्ता कर्ज, सरकार जल्द लॉन्च करेगी निर्भीक योजना
निर्यातकों को मिलने लगेगा सस्ता कर्ज, सरकार जल्द लॉन्च करेगी निर्भीक योजना

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। निर्यातकों को सस्ती दरों पर कर्ज मुहैया कराने के लिए सरकार जल्द ही निर्भीक योजना की घोषणा कर सकती है। निर्यातकों की लागत को कम करने एवं उन्हें सस्ती दरों पर कर्ज मुहैया कराने के लिए इस साल बजट में निर्भीक स्कीम शुरू करने का एलान किया गया था। इस योजना को आरंभ करने की तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। 25 फरवरी को औद्योगिक संगठन फिक्की के एक कार्यक्रम के दौरान वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने जल्द ही निर्यातकों के लिए इस योजना को आरंभ करने का संकेत दिया था।

नई योजना निर्भीक नाम से न्यू एक्सपोर्ट क्रेडिट इंश्योरेंस स्कीम होगी जो एक्सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कारपोरेशन (ईसीजीसी) के तहत क्रियान्वित होगी। निर्भीक के तहत अपने कर्ज की बीमा राशि पर पहले के मुकाबले कम प्रीमियम देना होगा। निर्यातकों को पहले के मुकाबले अधिक कवर दिया जाएगा।

अभी बीमा गारंटी के तहत निर्यात के लिए बैंक से मिलने वाले कर्ज के 60 फीसद मूलधन और ब्याज को कवर किया जाता है, जिसे बढाकर 90 फीसद किया जाएगा। निर्यातकों के मुताबिक यह सुविधा मिलने से कर्ज देने वाले बैंकों का जोखिम कम हो जाएगा।

अगर निर्यातकों को खरीदार से पैसा वापस नहीं मिलता है या किसी अन्य कारणों से कर्ज लेने वाला निर्यातक कर्ज नहीं चुका पाता है तो भी बैंक को कर्ज की 90 फीसद राशि वापस मिल जाएगी। ऐसे में बैंकों को अपनी ब्याज दरों को कम करने में कोई दिक्कत नहीं होगी।

निर्भीक स्कीम के तहत निर्यातकों के लिए विदेशी मुद्रा में मिलने वाले कर्ज की दर 4 फीसद तो घरेलू मुद्रा में मिलने वाले कर्ज की दर 8 फीसद से कम रह सकती है। इस योजना के लागू होने से निर्यातकों की वकिर्ंग कैपिटल बढ़ जाएगी और कम दर पर कर्ज मिलने से उनकी लागत में भी कमी आएगी। निर्भीक योजना के तहत दावे का निपटारा करने के लिए सरल प्रRियाओं का भी प्रावधान किया गया है।

वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रलय का मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था को पांच लाख करोड़ डॉलर के स्तर पर ले जाने के लिए निर्यात को हर हाल में बढ़ाना होगा और इसके लिए निर्यात की प्रतिस्पर्धा क्षमता में बढ़ोतरी करनी होगी। पिछले दो माह से निर्यात में गिरावट हो रही है।

chat bot
आपका साथी