न्यूनतम मजदूरी और National Floor Wages के निर्धारण पर विशेषज्ञ समूह जल्द देगा रिपोर्ट
मंत्रालय ने आगे कहा यह ध्यान में आया है कि प्रेस के कुछ वर्गों और कुछ हितधारकों ने इसे सरकार द्वारा न्यूनतम मजदूरी और नेशनल फ्लोर वेज के निर्धारण में देरी के प्रयास के रूप में माना है।
नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। केंद्र सरकार ने एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रोफेसर अजीत मिश्रा की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ समूह का गठन किया है, जिसका काम सरकार को न्यूनतम मजदूरी और नेशनल फ्लोर वेज के निर्धारण पर तकनीकी जानकारी और सिफारिशें प्रदान करना है। इस विशेषज्ञ समूह का कार्यकाल तीन वर्ष है। श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने शनिवार को एक प्रेस रिलीज जारी कर यह जानकारी दी।
Expert Group on fixation of Minimum Wages and National Floor Wages to submit its recommendations to the government as early as possible
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— PIB India (@PIB_India) June 19, 2021
मंत्रालय ने आगे कहा, 'यह ध्यान में आया है कि प्रेस के कुछ वर्गों और कुछ हितधारकों ने इसे सरकार द्वारा न्यूनतम मजदूरी और नेशनल फ्लोर वेज के निर्धारण में देरी के प्रयास के रूप में माना है।'
मंत्रालय ने विज्ञप्ति में कहा, 'यह स्पष्ट किया जाता है कि सरकार का ऐसा कोई इरादा नहीं है और विशेषज्ञ समूह जल्द से जल्द सरकार को अपनी सिफारिशें प्रस्तुत करेगा।'
मंत्रालय ने कहा कि विशेषज्ञ समूह का कार्यकाल तीन वर्ष इसलिए रखा गया है, ताकि न्यूनतम मजदूरी और नेशनल फ्लोर वेज के निर्धारण के बाद भी सरकार आवश्यकता पड़ने पर न्यूनतम मजदूरी और नेशनल फ्लोर वेज से संबंधित विषयों पर विशेषज्ञ समूह से तकनीकी इनपुट अथवा सलाह ले सके। इस समूह की पहली बैठक 14 जून, 2021 को हुई और दूसरी बैठक 29 जून, 2021 को निर्धारित है।
यहां बताते चलें कि आने वाले कुछ महीनों में चारों श्रम संहिताएं (Labour codes) लागू हो जाने की संभावना है। केंद्र सरकार इन लेबर कोड्स को अमली जामा पहनाने की तैयारी कर रही है। इन संहिताओं के लागू होने से कर्मचारियों का इन-हैंड वेतन घट जाएगा। साथ ही कंपनियों को कर्मचारियों के पीएफ फंड में अधिक योगदान करना पड़ेगा। इन कानूनों के लागू होने से कर्मचारियों की बेसिक सैलरी, भत्तों और पीएफ योगदान की गणना में बड़ा बदलाव आएगा।
इन 4 लेबर कोड्स में वेतन/मजदूरी संहिता, औद्योगिक संबंधों पर संहिता, काम विशेष से जुड़ी सुरक्षा, स्वास्थ्य एवं कार्यस्थल की दशाओं (OSH) पर संहिता और सामाजिक व व्यावसायिक सुरक्षा संहिता शामिल हैं।