तीन वर्षों में दोगुना होगा एथनॉल उत्पादन, 22 राज्यों में 422 एथनॉल संयंत्र लगाने के प्रस्तावों को मंजूरी

गन्ने के साथ अब खाद्यान्न आधारित एथनॉल उत्पादन संयंत्र को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए निवेशकों को विशेष रियायतें दी जाएंगी। मक्का व चावल आधारित एथनॉल उत्पादन से किसानों को सुनिश्चित लाभ प्राप्त होने का रास्ता खुल जाएगा।

By Pawan JayaswalEdited By: Publish:Tue, 15 Jun 2021 07:59 PM (IST) Updated:Wed, 16 Jun 2021 06:49 AM (IST)
तीन वर्षों में दोगुना होगा एथनॉल उत्पादन, 22 राज्यों में 422 एथनॉल संयंत्र लगाने के प्रस्तावों को मंजूरी
Ethanol Production ( P C : Pixabay )

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। देश में अगले तीन वर्षों में ही एथनॉल का उत्पादन दोगुना हो जाएगा। एथनॉल उत्पादन की प्रोत्साहन योजना के मद्देनजर देश के 22 राज्यों में 422 एथनॉल उत्पादन संयंत्र स्थापित करने के आवेदनों को केंद्र सरकार ने मंजूरी दे दी है। इन राज्यों में तेल कंपनियां भी अपने प्लांट स्थापित करने को तैयार हैं। इससे पेट्रोल में एथनॉल मिलाने की योजना को बल मिलेगा। गन्ने के साथ अब खाद्यान्न आधारित एथनॉल उत्पादन संयंत्र को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए निवेशकों को विशेष रियायतें दी जाएंगी। मक्का व चावल आधारित एथनॉल उत्पादन से किसानों को सुनिश्चित लाभ प्राप्त होने का रास्ता खुल जाएगा।

केंद्रीय खाद्य सचिव सुधांशु पांडेय ने बताया कि गैर एथनॉल उत्पादक राज्यों में नए संयंत्र लगाने को तरजीह दी जाएगी, ताकि एथनॉल की ढुलाई का खर्च बचाया जा सके। यहां डिस्टीलरी संयंत्र स्थापित करने पर ब्याज दरों में छूट देने का प्रविधान किया गया है।

फिलहाल उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक में 80 फीसद एथनॉल उत्पादन हो रहा है। स्थानीय स्तर पर खाद्यान्न आधारित एथनॉल उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है, ताकि वहां के किसानों को इसका लाभ प्राप्त हो सके।

पांडेय ने बताया कि नए संयंत्रों की स्थापना से कुल 41,000 करोड़ रुपये के निवेश की संभावना है, जिससे ग्रामीण युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित होंगे। पेट्रोलियम उत्पादों पर आयात निर्भरता घटेगी और इससे 30,000 करोड़ रुपए की विदेशी मुद्रा की बचत होगी।

इसका सीधा लाभ स्थानीय किसानों को प्राप्त होगा। एथनॉल उत्पादन में कुल 1.65 करोड़ टन खाद्यान्न की खपत होगी, जिससे उम्दा किस्म का प्रोटीनयुक्त पोल्ट्री फीड और पशुचारा प्राप्त होगा। मक्का उत्पादक राज्यों को इसका सबसे ज्यादा लाभ मिलेगा। मक्के के कुल उत्पादन का 60 फीसद हिस्सा पशुचारा बनाने में जाता है, जो अब एथनॉल संयंत्रों से प्राप्त होगा।

खाद्य मंत्रालय में संयुक्त सचिव सुबोध कुमार सिंह ने इस विषय पर विस्तृत प्रजेंटेशन देते हुए बताया कि वर्ष 2023 में पेट्रोल में राष्ट्रीय स्तर पर (ई-20) 20 फीसद एथनॉल मिश्रण का लक्ष्य निर्धारित किया गया है, जिसके लिए सभी पक्षकारों ने अपनी तैयारियां पूरी कर ली हैं।

बीआइएस ने ई-12 और ई-15 के मानक पहले ही जारी कर दिए हैं। वाहनों के इंजन में ई-12 तक में कोई संशोधन नहीं करना पड़ेगा, लेकिन पेट्रोल में इससे अधिक एथनॉल होने की दशा में इंजनों बदलाव की जरूरत होगी।

एक सवाल के जवाब में खाद्य सचिव पांडेय ने बताया कि निर्धारित समय से पहले ही वाहनों के इंजन में जरूरी बदलाव कर लिए जाएंगे। इसके लिए उन्हें पर्याप्त समय दे दिया गया है। वर्ष 2025 तक 1,016 करोड़ लीटर एथनॉल उत्पादन की जरूरत होगी। गन्ने के साथ मक्का और चावल से तैयार एथनॉल की हिस्सेदारी से इस लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।

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