देश के 200 से ज्‍यादा अर्थशास्त्रियों ने कहा, इकोनॉमिक डाटा जारी करे सरकार

देश के 200 से अधिक अर्थशास्त्री और शिक्षाविदों ने एक वक्तव्य के जरिये सरकार से सभी तरह के सर्वे और रिपोर्ट जारी करने का आग्रह किया है।

By Manish MishraEdited By: Publish:Fri, 22 Nov 2019 10:58 AM (IST) Updated:Fri, 22 Nov 2019 10:58 AM (IST)
देश के 200 से ज्‍यादा अर्थशास्त्रियों ने कहा, इकोनॉमिक डाटा जारी करे सरकार
देश के 200 से ज्‍यादा अर्थशास्त्रियों ने कहा, इकोनॉमिक डाटा जारी करे सरकार

नई दिल्ली, पीटीआइ। सरकार पर आर्थिक आंकड़े जारी करने का दबाव बढ़ता जा रहा है। देश के 200 से अधिक अर्थशास्त्री और शिक्षाविदों ने एक वक्तव्य के जरिये सरकार से सभी तरह के सर्वे और रिपोर्ट जारी करने का आग्रह किया है। इसमें एनएसएसओ द्वारा तैयार किए गए 2017-18 के उपभोक्ता खर्च के आंकड़े भी शामिल हैं। इससे पहले कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा गया था कि 2017-18 के दौरान औसत उपभोक्ता खर्च में तीव्र गिरावट आई है। सरकार इकोनॉमिक सुस्ती को छिपाने के लिए इन आंकड़ों को जाहिर नहीं कर रही है। 

इस वक्तव्य में कहा गया है कि उपभोक्ता खर्च का डाटा बड़े आर्थिक अनुमान के लिए जरूरी होता है। यह डाटा कई समितियों द्वारा प्रयोग में भी लाया जाता है। इसमें कहा गया है कि सरकार इस सूचना की व्याख्या अपने हिसाब से कर सकती है, लेकिन इसे रोककर रखना अर्थव्यवस्था के हित में नहीं है। पारदर्शिता और जवाबदेही बनाए रखने के लिए इसे जारी करना जरूरी है। 

इस बीच आरबीआइ के पूर्व गवर्नर सी रंगराजन ने कहा है कि 2025 तक पांच लाख करोड डॉलर की इकोनॉमी का लक्ष्य प्राप्त करना संभव नहीं है। उन्होंने कहा कि इस समय देश की इकोनॉमी का आकार 2.7 लाख करोड़ डॉलर है। पांच वर्षो के भीतर इसे दोगुना करने का मतलब है कि कम से कम नौ परसेंट की गति से विकास करना होगा।

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