Covid-19 की दूसरी लहर से इकोनॉमी को दो लाख करोड़ रुपये का नुकसान, रिजर्व बैंक का आकलन

कोरोना की दूसरी लहर से देश की इकोनॉमी को चालू वित्त वर्ष के दौरान अभी तक दो लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। यह नुकसान मुख्य तौर पर स्थानीय व राज्य स्तरीय लॉकडाउन से मांग पर विपरीत असर से हुआ है।

By Ankit KumarEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 10:58 AM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 11:00 AM (IST)
Covid-19 की दूसरी लहर से इकोनॉमी को दो लाख करोड़ रुपये का नुकसान, रिजर्व बैंक का आकलन
रिपोर्ट में इस बात का भी संकेत है कि महंगाई की चिंता अभी केंद्रीय बैंक के समक्ष बड़ी है।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोरोना की दूसरी लहर से देश की इकोनॉमी को चालू वित्त वर्ष के दौरान अभी तक दो लाख करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। यह नुकसान मुख्य तौर पर स्थानीय व राज्य स्तरीय लॉकडाउन से मांग पर विपरीत असर से हुआ है। यह आकलन भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) का है जिसने देश की इकोनॉमी पर बुधवार को जारी अपनी रिपोर्ट में कोरोना महामारी के दूरगामी असर की विस्तृत समीक्षा की है। आरबीआइ ने कहा है कि कोरोना वैक्सीन एक बड़ी खोज है, लेकिन सिर्फ वैक्सीनेशन से इस महामारी से बचाव नहीं हो सकता। हमें कोरोना के साथ ही जीने की आदत डालनी होगी, साथ ही सरकारों को हेल्थकेयर व लॉजिस्टिक्स में भारी भरकम निवेश भी करने को प्राथमिकता देनी होगी।

रिपोर्ट में इस बात का भी संकेत है कि महंगाई की चिंता अभी केंद्रीय बैंक के समक्ष बड़ी है लेकिन इसके बावजूद ब्याज दरों को लेकर सख्ती नहीं किया जाएगा।रिपोर्ट में कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष के लिए विकास दर को 10.5 फीसद से घटाकर 9.5 फीसद करने से इकोनॉमी को अभी तक दो लाख करोड़ रुपये का नुकसान होता दिख रहा है। यह नुकसान ग्रामीण व छोटे शहरों में मांग प्रभावित होने की वजह से मुख्य तौर पर हो रहा है।

हालांकि, यह बात भी मानी गई है कि पिछले साल लगाए गए राष्ट्रीय लॉकडाउन के मुकाबले इस साल नुकसान कम है। औद्योगिक उत्पादन व निर्यात के मोर्चे से सकारात्मक सूचनाएं लगातार आ रही हैं। देश की इकोनॉमी में यह क्षमता है कि वह तेजी से सामान्य हो सकती है।

हालांकि, आरबीआइ यह भी मानता है कि कोरोना की तीसरी लहर की भी संभावना है और इससे बचाव के लिए सतर्कता में कोई कमी नहीं होनी चाहिए। इसे रोकने में शारीरिक दूसरी के साथ ही टीकाकरण भी जरूरी है, लेकिन अकेले टीकाकरण इससे बचाव में पर्याप्त नहीं है। हमें इस महामारी के साथ ही रहना होगा, टीकाकरण भी जल्द से जल्द पूरा करना होगा और स्वास्थ्य ढांचे को बेहतर बनाने के लिए निवेश भी बढ़ाना होगा।आरबीआइ की यह रिपोर्ट कोरोना के दूरगामी असर को लेकर ज्यादा सतर्क कराने वाली है।

कोरोना के ये दूरगामी असर

कई सेक्टर में वर्क फ्रॉम होम एक बड़ी हकीकत बनेगी- ऑफलाइन शॉपिंग की तुलना में ऑनलाइन शॉपिंग की विकास दर बेहद तेज होगी- कई बड़े उद्योगों का आकार हमेशा के लिए छोटा हो जाएगा, कई बंद हो जाएंगे- डिजिटल टेक्नोलोजी, बायोमेडिकल साइंस और सतत विकास में मदद देने वाले तकनीक आधारित उद्योगों और कंपनियों में तेज विकास होगा।

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