Cryptocurrency एक्सचेंज में UPI के इस्तेमाल मामले में दिल्ली हाई कोर्ट का रिजर्व बैंक, SBI से जवाब तलब
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने SBI रिजर्व बैंक भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम और वित्तीय सेवा विभाग को नोटिस जारी कर याचिका पर जवाब देने को कहा है। अदालत ने मामले में अगली सुनवाई 24 दिसंबर को तय की है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। Delhi High Court ने गुरुवार को Reserve Bank of India और State Bank of India (SBI) से उस याचिका पर जवाब मांगा जिसमें अधिकारियों को क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज, वजीरएक्स में निवेश आदि के लिए यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) मंच के इस्तेमाल पर प्रतिबंध हटाने का निर्देश देने का आग्रह किया गया है।
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने SBI, रिजर्व बैंक, भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम और वित्तीय सेवा विभाग को नोटिस जारी कर याचिका पर जवाब देने को कहा है। अदालत ने मामले में अगली सुनवाई 24 दिसंबर को तय की है।
याचिकाकर्ता और कानून के छात्र अर्नव गुलाटी ने कहा कि वह और SBI के कई खाताधारक तथा क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज वजीरएक्स के पंजीकृत उपयोगकर्ता अधिकारियों की कार्रवाइयों से व्यथित है जो अनुच्छेद 19 (1) (जी) के तहत मिले उनके व्यापार के मौलिक अधिकार, और संविधान के अनुच्छेद 14 के तहत मिले समानता के अधिकार का उल्लंघन करते हैं।
याचिकाकर्ता की ओर से पेश हुए अधिवक्ता सिद्धार्थ आचार्य और सिमरजीत सिंह साटिया ने कहा कि वजीरएक्स (प्रमुख क्रिप्टोकरेंसी एक्सचेंज) के उपयोगकर्ताओं के लिए यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस (यूपीआई) सेवाओं को अवरुद्ध करने की खातिर SBI द्वारा की गयी मनमानी कार्रवाई के खिलाफ याचिका दायर की गयी है। यह कार्रवाई उच्चतम न्यायालय के मार्च 2020 के फैसले का उल्लंघन करती है।
उच्चतम न्यायालय ने अपने आदेश के साथ बैंकों और उनके ग्राहकों के लिए क्रिप्टोकरेंसी के माध्यम से लेनदेन का रास्ता साफ किया था।
निर्यात में भारत ने चीन समेत जी-7 के विकसित देशों को पीछे छोड़ा
निर्यात के मामले में भारत ने चीन समेत जी-7 के सभी सात देशों को पीछे छोड़ दिया है। वहीं, निर्यात में हो रही लगातार वृद्धि से चालू खाते के घाटे को भी बड़ा सहारा मिलता दिख रहा है और आयात बिल में हो रही भारी बढ़ोतरी के बावजूद चालू खाते का घाटा (सीएडी) नियंत्रण में रहेगा। एसबीआइ इकोरैप की रिपोर्ट के मुताबिक वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों के चलते आयात बिल लगातार बढ़ सकता है। ऐसी स्थिति में भी चालू खाते का घाटा (सीएडी) जीडीपी का अधिकतम 1.4 प्रतिशत तक रह सकता है।