उद्योग जगत की साख में हुआ सुधार, वित्तीय क्षेत्र को छोड़कर 43 सेक्टरों में सुधार की प्रक्रिया जारी
एजेंसी के मुताबिक उसने वित्तीय क्षेत्र को छोड़कर 43 सेक्टरों का अध्ययन किया है और इससे पता चलता है कि सभी स्तर पर सुधार की प्रक्रिया जारी है। खास बात यह है कि 36 लाख करोड़ के कुल कर्ज का 75 फीसद हिस्सा इन सेक्टरों के पास ही है।
मुंबई, पीटीआइ। भारतीय कारोबार में लगातार तेजी को देखते हुए क्रेडिट रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने उद्योग जगत की साख में सुधार करते हुए हुए उसे 'पाजिटिव' कर दिया है। रेटिंग एजेंसी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के शुरुआती चार महीनों में कारोबारी जगत का क्रेडिट रेश्यो 2.55 गुना से अधिक बढ़ा है, जो पिछले वर्ष के आखिरी छह महीनों में 1.33 गुना बढ़ा था।
एजेंसी के मुताबिक उसने वित्तीय क्षेत्र को छोड़कर 43 सेक्टरों का अध्ययन किया है और इससे पता चलता है कि सभी स्तर पर सुधार की प्रक्रिया जारी है। खास बात यह है कि 36 लाख करोड़ के कुल कर्ज का 75 फीसद हिस्सा इन सेक्टरों के पास ही है। एजेंसी के अनुसार इनमें से 28 सेक्टर ऐसे हैं, जिनकी मांग वित्त वर्ष के अंत तक महामारी पूर्व के स्तर पर आ जाएगी। जबकि शेष क्षेत्रों की मांग लगभग 85 फीसद से ऊपर होगी।
क्रिसिल के चीफ रेटिंग अधिकारी सुबोध राय ने कहा कि भारतीय उद्योग जगत की बुनियाद मजबूत है और इसमें तेजी जारी रहेगी। आउटलुक में संशोधन घरेलू और वैश्विक स्तर पर मजबूत आर्थिक विकास से प्रेरित है और अनुमान है कि घरेलू मांग बढ़ेगी। हालांकि महामारी की तीसरी लहर और स्थानीय स्तर पर लाकडाउन का डर बना हुआ है। सबसे अधिक सुधार कंस्ट्रक्शन, इंजीनियरिंग और नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में दर्ज किया गया है। इसका सबसे बड़ा कारण इन क्षेत्रों को सरकार की तरफ से दी जा रही रियायतें शामिल हैं। इसके अलावा स्टील और दूसरी धातुओं की बढ़ती कीमत और लाभ के चलते इससे जुड़े उद्योगों की स्थिति सुधरी है।
घरेलू में मांग में वृद्धि और निर्यात में तेजी के चलते फार्मास्युटिकल्स, विशेषकर केमिकल से जुड़े उद्योगों को फायदा हुआ है। हालांकि हास्पिटेलिटी और शिक्षा से जुड़े उद्योगों को महामारी का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है और इनमें गिरावट दर्ज की गई है। हालांकि आरबीआइ और सरकार द्वारा समय पर उठाए गए कदमों ने नुकसान को कम जरूर किया है। एजेंसी के सीनियर डायरेक्टर सोमशेखर वेमुरी ने कहा कि वित्तीय क्षेत्र की स्थिति भी एक साल पहले की तुलना में इस वक्त बेहतर है। उन्होंने कहा कि सरकार और आरबीआइ ने महामारी प्रभावित कंपनियों के एकमुश्त कर्ज पुनर्गठन का जो कदम उठाया, उससे एनपीए पर अंकुश लगाने में मदद मिली।