COVID-19 Impact: पहली लहर के मुकाबले नुकसान कम, खतरा ज्यादा : RBI
RBI का आकलन है कि कोविड की दूसरी लहर ने भारत में मांग पर सबसे ज्यादा असर डाला है। वैसे पिछले महीने जीएसटी कलेक्शन रिकॉर्ड 1.41 लाख करोड़ रुपये रहा है लेकिन इसकी रफ्तार बनी रहने का भरोसा नहीं है।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कोरोना की दूसरी लहर ने भारतीय इकोनॉमी को किस तरह से प्रभावित किया है, इसको लेकर पहली बार भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने विस्तार से बताने की कोशिश की है। केंद्रीय बैंक के अनुसार कोरोना की दूसरी लहर से वर्ष 2021-22 की पहली तिमाही पर खास असर नहीं पड़ा है। मोटे तौर पर इसका कहना है कि पहली लहर में जितना आर्थिक नुकसान उठाना पड़ा था उससे कम ही नुकसान की संभावना इस बार है। इसके बावजूद भविष्य के प्रभावों को लेकर RBI ज्यादा चिंतित नजर आ रहा है। खास तौर पर जिस तरह से आवागमन और रोजगार पर असर पड़ा है, उसे देख RBI ने कहा है कि आगे का रास्ता खतरों से भरा हुआ है।
इसी महीने के पहले सप्ताह में RBI गवर्नर डॉ. शक्तिकांत दास ने कोरोना महामारी की दूसरी लहर से इकोनॉमी को बचाने के लिए कुछ उपायों का एलान किया था। RBI की सोमवार को जारी रिपोर्ट कहती है कि आगे भी कुछ उपायों की घोषणा होगी, इस बारे में विमर्श किया जा रहा है। यह भी संकेत हैं कि आगामी उपायों में पहले की तरह छोटे-मझोले उद्योगों को प्राथमिकता मिलेगी। RBI ने साफ तौर पर कहा है कि देशव्यापी लॉकडाउन के मुकाबले स्थानीय लॉकडाउन ज्यादा कारगर हैं।
RBI का आकलन है कि कोविड की दूसरी लहर ने भारत में मांग पर सबसे ज्यादा असर डाला है। वैसे पिछले महीने जीएसटी कलेक्शन रिकॉर्ड 1.41 लाख करोड़ रुपये रहा है लेकिन इसकी रफ्तार बनी रहने का भरोसा नहीं है। अप्रैल में ई-वे बिल में 17.5 फीसद की गिरावट यह संकेत भी दे रही है।
पेट्रोल व डीजल की बिक्री में लगातार कमी भी औद्योगिक गतिविधियों के घटने की तरफ संकेत करती है। अप्रैल मे पैसेंजर कारों की बिक्री में गिरावट और हवाई यात्रियों की संख्या में कमी होना भी यही बताते हैं। इसी तरह से बेरोजगारी की दर एक महीने के भीतर 6.5 फीसद से बढ़कर आठ फीसद (सीएमआइई की रिपोर्ट के मुताबिक) होना भी इकोनॉमी पर दबाव के संकेतक हैं।