अगले वित्त वर्ष में 7 फीसद तक पहुंच सकती है विकास दर, महंगाई दर आ सकती है 6 फीसद से नीचे
भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) कृष्णमूर्ति वी. सुब्रमणियन ने कहा है कि आगामी वित्त वर्ष (2022-23) में भारत की विकास दर 6.5-7 फीसद और उसके अगले वर्ष आठ फीसद तक जा सकती है। मई के बाद से महंगाई दर छह फीसद से ऊपर चल रही है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) कृष्णमूर्ति वी. सुब्रमणियन ने कहा है कि आगामी वित्त वर्ष (2022-23) में भारत की विकास दर 6.5-7 फीसद और उसके अगले वर्ष आठ फीसद तक जा सकती है। उन्होंने कहा कि निवेश दर के उच्च होने, निर्यात में बढ़ोतरी एवं निजी क्षेत्रों की अधिक उत्पादकता से यह दशक निश्चित रूप से भारत की उच्च विकास दर का दशक होगा। बढ़ती महंगाई के बारे में सीईए ने कहा कि इस महीने की महंगाई दर छह फीसद से नीचे आ सकती है। मई के बाद से महंगाई दर छह फीसद से ऊपर चल रही है।
उद्योग संगठन फिक्की के एक कार्यक्रम में सीईए ने कहा कि पूंजीगत खर्च से अनौपचारिक सेक्टर में मांग का सृजन होता है और यह अर्थव्यवस्था के विकास के लिए महत्वपूर्ण हैं। पिछले कुछ समय से सरकार ने जो आर्थिक सुधार कार्यक्रम चलाए हैं वे वर्ष 1991 में किए गए सुधारों की तरह महत्वपूर्ण हैं। इनका असर निश्चित रूप से निवेश और उत्पादकता पर दिखेगा।
विकास पर दूसरी लहर के असर के बारे में सुब्रमणियन ने कहा कि दूसरी लहर छह से आठ सप्ताह में खत्म हो गई। इस वजह से विकास पर इसका पिछले वर्ष जितना असर नहीं होगा। उन्होंने कहा कि जीएसटी संग्रह से भी पता चल रहा है कि खपत में बढ़ोतरी हो रही है क्योंकि जीएसटी संग्रह खपत से जुड़ा हुआ कर है। पिछले वर्ष सितंबर से जीएसटी संग्रह एक लाख करोड़ से अधिक था और इस वर्ष जून में भी यह 92,000 करोड़ रुपये रहा। इससे पता चलता है कि कोरोना की दूसरी लहर का असर पहली लहर की तरह नहीं है।
जीएसटी दरें जल्द होंगी युक्तिसंगत
मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) कृष्णमूर्ति सुब्रमणियन ने गुरुवार को कहा कि जीएसटी दरों को युक्तिसंगत बनाना सरकार के एजेंडे में शामिल है। उनके अनुसार जीएसटी दरों के मौजूदा ढांचे में जल्द बदलाव होना निश्चित है। उनके अनुसार मूल योजना तीन दरों वाले ढांचे की थी और यह काफी महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर यानी तैयार उत्पादों के मुकाबले कच्चे माल पर अधिक आयात शुल्क की व्यवस्था को भी ठीक करने की जरूरत है।
जुलाई, 2017 से अस्तित्व में आई जीएसटी व्यवस्था में फिलहाल पांच टैक्स स्लैब 0.25 फीसद, पांच फीसद, 12 फीसद, 18 फीसद और 28 फीसद हैं। हालांकि उद्योग संगठन एसोचैम के कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि नीति निर्माताओं ने जिस सोच के साथ पांच दरों के प्रारूप में इसे लागू किया था, वह बहुत अच्छा है और जीएसटी संग्रह पर उसका असर भी दिख रहा है। इसके लिए वे सब बधाई के पात्र हैं, क्योंकि उन्होंने व्यावहारिकता को देखते हुए पांच दरों के साथ इसे लांच किया।