आठ राज्यों को पूंजीगत खर्च के लिए मिले 2,903 करोड़ रुपए

वित्त मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष में राज्यों में पूंजीगत खर्च की विशेष सहायता स्कीम की घोषणा अप्रैल में की थी। विशेष सहायता स्कीम के तहत केंद्र सरकार सभी राज्यों को पूंजीगत खर्च के लिए चालू वित्त वर्ष में 15000 करोड़ रुपये कर्ज के रूप में देगी।

By Ankit KumarEdited By: Publish:Sun, 26 Sep 2021 10:08 AM (IST) Updated:Sun, 26 Sep 2021 10:08 AM (IST)
आठ राज्यों को पूंजीगत खर्च के लिए मिले 2,903 करोड़ रुपए
इन आठ राज्यों में बिहार, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, सिक्किम व तेलंगाना शामिल हैं।

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। वित्त मंत्रालय ने पूंजीगत खर्च में बढ़ोतरी के लिए आठ राज्यों को 2903.80 करोड़ रुपये के कर्ज की मंजूरी दी है। इनमें से 1393.83 करोड़ रुपये इन राज्यों को जारी कर दिए गए हैं। वित्त मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष में राज्यों में पूंजीगत खर्च की विशेष सहायता स्कीम की घोषणा अप्रैल में की थी। विशेष सहायता स्कीम के तहत केंद्र सरकार सभी राज्यों को पूंजीगत खर्च के लिए चालू वित्त वर्ष में 15,000 करोड़ रुपये कर्ज के रूप में देगी। इस कर्ज पर केंद्र सरकार राज्यों से कोई ब्याज नहीं लेगी और यह कर्ज 50 वर्षों के लिए दिया जाएगा। इस विशेष सहायता के तहत ही आठ राज्यों के लिए 2,903 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई।

इन आठ राज्यों में बिहार, छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, पंजाब, सिक्किम व तेलंगाना शामिल हैं। सरकार का मकसद राज्यों की इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं पर खर्च को बढ़ाना है ताकि अर्थव्यवस्था में तेज रिकवरी में मदद के साथ राज्यों में रोजगार का भी सृजन हो सके। वित्त मंत्रालय के मुताबिक विशेष सहायता के तहत बिहार को 831 करोड़ रुपये, छत्तीसगढ़ को 282 करोड़, हिमाचल प्रदेश को 200 करोड़ रुपये, मध्य प्रदेश को 649 करोड़ रुपये, महाराष्ट्र को 522 करोड़, पंजाब को 45.80 करोड़, सिक्किम को 200 करोड़ तो तेलंगाना को 174 करोड़ रुपये दिए जाएंगे।

पिछले वित्त वर्ष में भी वित्त मंत्रालय की तरफ से राज्यों को इस प्रकार की विशेष सहायता प्रदान की गई थी। उस अवधि में 27 राज्यों में पूंजीगत खर्च में बढ़ोतरी के लिए 11,911.79 करोड़ रुपये की मंजूरी दी गई थी और इनमें से 11,830.29 करोड़ रुपये जारी किए गए।

आयातित कंटेनर के पुन: निर्यात की अवधि बढ़ाई

केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआइसी) ने घरेलू बंदरगाहों पर पड़े आयातित कंटेनरों के फिर से निर्यात की समय सीमा और तीन महीने के लिए बढ़ाने का फैसला किया है। इसका मकसद निर्यात के लिए कंटेनरों की कमी की समस्या को दूर करना है। वर्तमान में अगले छह महीनों के दौरान फिर से निर्यात की शर्त के साथ कंटेनरों के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति है। इस तरह के आयात शुल्क से बचने के लिए कंपनियां खाली पड़े कंटेनरों का निर्यात करती हैं। इस तरह की गतिविधियों से निर्यात के लिए कंटेनरों की कमी समस्या बढ़ रही हैं।

इस बारे में कारोबारियों की मांग को देखते हुए सीबीआइसी ने शनिवार को अपने फील्ड अधिकारियों से घरेलू बंदरगाहों पर पड़े आयातित कंटेनरों के फिर से निर्यात के लिए तीन महीने का और समय देने को कहा। गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी के कारण वैश्विक स्तर पर लदान भाड़े की दरों में बढ़ोतरी तथा कंटेनरों की संख्या में कमी हुई है। निर्यातक समुदाय ने बार-बार कंटेनरों की कमी का मुद्दा उठाया है, क्योंकि इससे निर्यात प्रभावित होता है।

chat bot
आपका साथी