रिलायंस इन्फ्रा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, डीएमआरसी की याचिका की खारिज
इसके तहत उसे वर्ष 2038 तक मेट्रो रेल का परिचालन करना था। इसके तहत कंपनी नई दिल्ली में एयरपोर्ट मेट्रो का संचालन कर रही थी। वर्ष 2012 में फीस और अन्य मसलों पर डीएमआरसी से विवाद के चलते कंपनी ने इस मेट्रो का परिचालन बंद कर दिया।
नई दिल्ली, आइएएनएस। अनिल अंबानी नियंत्रित रिलायंस ग्रुप की कंपनी रिलायंस इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन (डीएमआरसी) से चार वर्ष पुराने एक विवाद में बड़ी जीत हासिल की है। इस जीत से कर्ज के बोझ तले दबे रिलायंस ग्रुप को बड़ी राहत मिली है और फैसले के बाद मिलने वाले 4,600 करोड़ रुपये और उस पर ब्याज से वह कर्ज का एक बडृा हिस्सा चुका सकेगा। सुप्रीम कोर्ट ने रिलायंस इन्फ्रा के पक्ष में दिए गए एक मध्यस्थता फैसले को सही ठहराया है।
यह भी पढ़ें: आपके Aadhaar का कहां-कहां हुआ है इस्तेमाल, घर बैठे ऐसे लगाएं पता
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश एल. नागेश्वर राव की पीठ ने डीएमआरसी की याचिका खारिज कर दी और रिलायंस ग्रुप के पक्ष में वर्ष 2017 में सुनाए गए एक मध्यस्थता फैसले को बरकरार रखा। रिलायंस इन्फ्रा ने वर्ष 2008 में डीएमआरसी से एक करार किया था। इसके तहत उसे वर्ष 2038 तक मेट्रो रेल का परिचालन करना था। इसके तहत कंपनी नई दिल्ली में एयरपोर्ट मेट्रो का संचालन कर रही थी। वर्ष 2012 में फीस और अन्य मसलों पर डीएमआरसी से विवाद के चलते कंपनी ने इस मेट्रो का परिचालन बंद कर दिया।
यह भी पढ़ें: Mobile App के जरिये लोन लेने से फर्जीवाड़े की आशंका ज्यादा, इन बातों का रखें ख्याल
कंपनी ने एक मध्यस्थता प्राधिकरण में याचिका दाखिल की और डीएमआरसी पर करार तोड़ने का आरोप लगाते हुए इसके एवज में शुल्क मांगा। सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान रिलायंस इन्फ्रा के वकीलों ने कहा कि कंपनी हासिल होने वाली रकम का उपयोग कर्ज चुकाने में करेगी। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सभी बैंकों को निर्देश दिया कि वे रिलायंस इन्फ्रा के अकाउंट को गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों (एनपीए) में शामिल नहीं करें।
यह भी पढ़ें: आधार असली है या नकली, आसानी से लगा सकते हैं पता
यह भी पढ़ें: इन बैंकों के ग्राहक बिना कार्ड के भी ATM से निकाल सकते हैं पैसा, जानिए कैसे