बैंको का लाभांश भुगतान माफ, कोविड के असर को देखते हुए RBI ने किया फैसला
RBI ने ऐलान किया है कि वाणिज्यिक व सहकारी बैंकों को पिछले वित्त वर्ष (2019-20) के लिए कोई लाभांश नहीं देना होगा। आरबीआइ का कहना है कि चूंकि कोविड-19 महामारी की वजह से बैंकों का वित्तीय स्वास्थ्य बिगड़ा हुआ है ऐसे में उन्हें अतिरिक्त राशि की जरूरत होगी।
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। कभी बैंकों के पीछे लाभांश अदाएगी के लिए पड़ा रहने वाला आरबीआइ ने ऐलान किया है कि वाणिज्यिक व सहकारी बैंकों को पिछले वित्त वर्ष (2019-20) के लिए कोई लाभांश नहीं देना होगा। आरबीआइ का कहना है कि चूंकि कोविड-19 महामारी की वजह से बैंकों का वित्तीय स्वास्थ्य बिगड़ा हुआ है, ऐसे में उन्हें अतिरिक्त राशि की जरूरत होगी। इसके साथ ही केंद्रीय बैंक ने गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की तरफ से लाभांश देने के नियम बनाने की घोषणा की है। अभी एनबीएफसी सेक्टर के लिए लाभांश घोषित करने की कोई नीति नहीं है।
शुक्रवार को मौद्रिक नीति की समीक्षा करने के साथ ही आरबीआइ गवर्नर ने डॉ. शक्तिकांत दास ने कहा कि, 'बैंकों के बैलेंस शीट्स को मजबूत करने और उनके पास कर्ज वितरण के लिए ज्यादा राशि उपलब्ध कराने के उद्धेश्य से यह फैसला किया गया है कि सूचीबद्ध वाणिज्यिक बैंक व सहकारी बैंक पिछले वित्त वर्ष के लिए लाभांश नहीं देंगे।'
इस बारे में पहली बार घोषणा अप्रैल, 2020 में ही की गई थी और कहा गया था कि सितंबर, 2020 में इसकी समीक्षा की जाएगी। एनबीएफसी के लिए लाभांश देने के नए नियम बनाने के साथ ही उन्होंने इनके नियमन को और सख्त करने के संकेत दिए हैं। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में एनबीएफसी के आकार व उनकी गतिविधियों में काफी तेजी से विस्तार हुआ है। उनके समक्ष आये नए जोखिमों के संदर्भ में नियमन व्यवस्था में बदलाव करने की जरूरत है। सनद रहे कि पिछले वर्ष आईएलएंडएफएस और उसके बाद दीवान हाउसिंग फाइनेंस में भारी संकट के बाद एनबीएफसी पर आरबीआइ ने निगरानी बढ़ा दी है। आरबीआइ अब बड़े एनबीएफसी को बैंकिंग लाइसेंस देने के सुझाव पर विचार कर रहा है, इस लिहाज से भी उनकी निगरानी व नियमन बढ़ाने की जरुरत है।
शुक्रवार को आरबीआइ ने यह भी कहा है कि वह एनबीएफसी और सहकारी बैंकों पर नियमन का स्तर दूसरे वाणिज्यिक बैंकों की तरह ही लागू करने के लक्ष्य के साथ काम कर रहा है। इस संदर्भ में उक्त दोनों के लिए जोखिम आधारित आतंरिक ऑडिटिंग करने की नीति लागू की गई है। यानी एनबीएफसी व सहकारी बैंकों के पास अपनी आंतरिक ऑडिटिंग टीम भी होगी। इसे बैंकिंग सेक्टर में सुरक्षा का तीसरा कवच कहा जाता है।
पंजाब व महाराष्ट्र सहकारी बैंक का संकट सामने आने के बाद सहकारी बैंकों के नियमन को चाक चौबंद करने की कई स्तरों पर कोशिश की जा रही है। केंद्रीय बैंक ने यह भी फैसला किया है कि वाणिज्यिक बैंक, एनबीएफसी और सहकारी बैंकों पर वैधानिक ऑडिटर्स नियुक्त करने का एक समान नियम लागू होगा।