बैंक अधिकारियों के संगठनों ने किया विरोध, सभी निजी बैंकों को सरकारी कामकाज करने की अनुमति न मिले
गुरुवार को संयुक्त बैंक अधिकारियों के चार संगठनों ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कॉन्फेडरेशन (एआईबीओसी) ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसएिशन (एआईबीओए) इंडियन नेशनल बैंक ऑफिसर्स कांग्रेस (आईएनबीओसी) और नेशनल आर्गनाइजेशन ऑफ बैंक ऑफिसर्स (एनओबीओ) ने कहा कि यह काफी हास्यास्पद है कि निजी क्षेत्र के बैंकों को ग्रामीण/छोटे कस्बों
नई दिल्ली, पीटीआइ। बैंक अधिकारियों के संगठनों ने सभी निजी बैंकों को सरकारी कामकाज करने की अनुमति देने का विरोध किया है। दरअसल, केंद्र ने निजी बैंकों को सरकारी कारोबार में शामिल होने की अनुमति दी थी। इसके बाद संगठनों ने निजी क्षेत्र के बैंको को टैक्स कलेक्शन, पेंशन भुगतान और लघु बचत योजनाओं समेत सरकारी कारोबार में शामिल होने की अनुमति देने के केंद्र के निर्णय का विरोध किया।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को ट्वीट किया, ‘‘निजी बैंकों को सरकार से जुड़े कामकाज और योजनाओं को क्रियान्वित करने पर लगी रोक अब नहीं है। अब सभी बैंकों को इसमें शामिल होने की छूट है। निजी बैंक अब भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास, सरकार के सामाजिक क्षेत्र में उठाये गये कदमों और ग्राहकों की सुविधा बेहतर बनाने में समान रूप से भागीदार हो सकते हैं।’’
गुरुवार को संयुक्त बैंक अधिकारियों के चार संगठनों ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स कॉन्फेडरेशन (एआईबीओसी), ऑल इंडिया बैंक ऑफिसर्स एसोसएिशन (एआईबीओए), इंडियन नेशनल बैंक ऑफिसर्स कांग्रेस (आईएनबीओसी) और नेशनल आर्गनाइजेशन ऑफ बैंक ऑफिसर्स (एनओबीओ) ने कहा कि यह काफी हास्यास्पद है कि निजी क्षेत्र के बैंकों को ग्रामीण/छोटे कस्बों में शाखा विस्तार, प्राथमिक क्षेत्र को कर्ज देने के नियम, कृषि कर्ज जैसे नियमों के मामले में छूट दी गयी हैं। जबकि सार्वजिक क्षेत्र के बैंकों की बात करें तो यह प्राथमिक क्षेत्र को कर्ज, कृषि क्षेत्र को कर्ज समेत विभिन्न नियम मनाने होते हैं।
संगठनों ने कहा कि सरकारी कामकाज को निजी बैंकों को खोलने से कोष (फ्लोट फंड) जुटाने में मदद मिलेगी। संगठनों ने दावा किया कि निजी बैंकों को सरकारी कामकाज की अनुमति देने से ऐसे बैंकों के अधिकारियों और कर्मचारियों की जवाबदेही नहीं होगी। बयान में कहा गया कि भ्रष्टाचार निरोधक कानून, 1988, केंद्रीय सतर्कता आयोग कानून, 2003 तथा आरटीआई (सूचना का अधिकार) कानून सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर लागू है जबकि निजी क्षेत्र के बैंक इससे बाहर हैं।