RBI Auto-Debit Rule: अब 30 सितंबर तक फेल नहीं होगा ऑटो डेबिट, आरबीआई ने बढ़ाई समयसीमा

RBI Auto-Debit Rule भारतीय रिजर्व बैंक ने बिल पेमेंट और सब्सक्रिप्शन रिन्यूअल से जुड़े अपने दिशा-निर्देशों को लागू करने की समयसीमा छह माह के लिए बढ़ा दी है। इससे बड़ी संख्या में बैंकों को ग्राहकों को राहत मिलेगी।

By Ankit KumarEdited By: Publish:Wed, 31 Mar 2021 03:42 PM (IST) Updated:Wed, 31 Mar 2021 04:10 PM (IST)
RBI Auto-Debit Rule: अब 30 सितंबर तक फेल नहीं होगा ऑटो डेबिट, आरबीआई ने बढ़ाई समयसीमा
RBI ने पूरी तरह से अनुपालन नहीं होने के कारण समयसीमा को छह और माह के लिए बढ़ा दिया है।

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। भारतीय रिजर्व बैंक ने बिल पेमेंट और सब्सक्रिप्शन रिन्यूअल से जुड़े अपने दिशा-निर्देशों को लागू करने की समयसीमा छह माह के लिए बढ़ा दी है। इससे बड़ी संख्या में बैंकों को ग्राहकों को राहत मिलेगी। इससे पहले इन दिशा-निर्देशों को एक अप्रैल से लागू होना था। आरबीआई के इन नए दिशा-निर्देशों के अमल में आने के बाद बिल पेमेंट और तमाम तरीके के सब्सक्रिप्शन के खुद-ब-खुद रिन्युअल से जुड़े ई-मैंडेट ट्राजेक्शन फेल हो सकते थे। हालांकि, बड़े स्तर पर नियमों का अनुपालन नहीं होने की वजह से केंद्रीय बैंक ने समयसीमा को छह और माह के लिए बढ़ा दिया है। 

भारतीय रिजर्व बैंक ने कहा है, ''रिजर्व बैंक ने स्टेकहोल्डर्स के लिए नए फ्रेमवर्क पर माइग्रेट करने की समयसीमा को छह माह के लिए बढ़ाकर 30 सितंबर, 2021 कर दिया है।''

केंद्रीय बैंक ने साथ ही कहा है कि नई समयसीमा तक फ्रेमवर्क पर माइग्रेट नहीं करना गंभीर चिंता का विषय होगा और उससे अलग से तरह से निपटा जाएगा। 

आरबीआई ने कहा है, ''कुछ स्टेकहोल्डर्स द्वारा अनुपालन में विलंब से इस तरह की स्थिति पैदा हो गई है, जिससे बड़े पैमाने पर ग्राहकों को असुविधा और डिफॉल्ट की आशंका पैदा हो गई थी। ग्राहकों को किसी तरह की दिक्कत ना हो, इसे सुनिश्चित करने के लिए रिजर्व बैंक ने नए फ्रेमवर्क पर स्टेकहोल्डर्स के माइग्रेट करने की समयसीमा को छह माह (30 सितंबर, 2021) तक के लिए बढ़ा दिया है।''

केंद्रीय बैंक ने कहा है कि नई समयसीमा तक फ्रेमवर्क को अपनाने में विलंब करने पर स्टेकहोल्डर्स को कड़े सुपरवाइजरी एक्शन का सामना करना पड़ सकता है। 

क्या है ऑटो डेबिट से जुड़ा नया नियम

आरबीआई ने अगस्त 2019 में रेकरिंग ऑनलाइन ट्रांजैक्शन्स के e-mendates के प्रोसेसिंग के लिए एक फ्रेमवर्क जारी किया था। यह फ्रेमवर्क पहले कार्ड्स और वॉलेट तक सीमित था लेकिन जनवरी 2020 में यूपीआई ट्रांजैक्शन को भी शामिल करने के लिए इसका विस्तार किया गया था।

क्या है इस फ्रेमवर्क का उद्देश्य

भारतीय रिजर्व बैंक के मुताबिक इस फ्रेमवर्क का मुख्य उद्देश्य ग्राहकों को धोखाधड़ी वाले ट्रांजैक्शन्स से बचाना है और ग्राहकों की सुविधा को बढ़ाना है। 

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