छह लाख से अधिक विक्रेता, छोटे व्यापारी विदेशी ई- कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ करेंगे असंभव सम्मेलन

सरकार को इस दिशा में तत्काल नियामकीय एवं कानूनी हस्तक्षेप करना चाहिए। इस सम्मेलन में विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों के प्लेटफार्म पर सामान बेचने के दौरान व्यापारियों के सामने आने वाली परेशानियों और उनकी शिकायतों पर चर्चा की जाएगी।

By NiteshEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 07:49 AM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 11:35 AM (IST)
छह लाख से अधिक विक्रेता, छोटे व्यापारी विदेशी ई- कॉमर्स कंपनियों के खिलाफ करेंगे असंभव सम्मेलन
सरकार को इस दिशा में तत्काल नियामकीय एवं कानूनी हस्तक्षेप करना चाहिए

नई दिल्ली, पीटीआइ। देश में विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों की भेदभाव वाली नीतियों के विरोध में छह लाख से ज्यादा छोटे कारोबारी, डिस्ट्रीब्यूटर और व्यापारी 'असंभव' सम्मेलन का आयोजन करेंगे। गुरुवार को होने जा रहा यह सम्मेलन इसलिए भी अहम है, क्योंकि अमेरिकी ई-कॉमर्स फर्म अमेजन छोटे एवं मझोले उद्यमों के लिए 15 से 18 अप्रैल तक 'संभव' के नाम से कार्यक्रम आयोजित करेगी।

असंभव सम्मेलन में ऑल इंडिया ऑनलाइन वेंडर्स एसोसिएशन, फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया डिस्ट्रीब्यूटर्स एसोसिएशंस और प्रहार समेत कई अन्य संगठनों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। एक बयान में कहा गया कि विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों की नीतियों के कारण छोटे व्यापारियों की आजीविका संकट में पड़ गई है।

सरकार को इस दिशा में तत्काल नियामकीय एवं कानूनी हस्तक्षेप करना चाहिए। इस सम्मेलन में विदेशी ई-कॉमर्स कंपनियों के प्लेटफार्म पर सामान बेचने के दौरान व्यापारियों के सामने आने वाली परेशानियों और उनकी शिकायतों पर चर्चा की जाएगी। इस सम्मेलन के दौरान स्वदेशी जागरण मंच के डॉ. अश्वनी महाजन के साथ विमर्श का सत्र भी आयोजित किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि सरकार ई-कॉमर्स को लेकर नीति पर काम कर रही है।

इसमें देश में तेजी से उभरने वाले इस क्षेत्र के लिये नियामकीय व्यवस्था को पेश किया जायेगा। देश में इंटरनेट की पैठ बढ़ने और इसके इस्तेमाल के लिये विभिन्न ई- वाणिज्य कंपनियों की ओर से आकर्षक पेशकशों के चलते पिछले कुछ सालों के दौरान ई- वाणिज्य बाजार का दायरा तेजी से बढ़ा है।

बहरहाल, देश में पुरानी परंपरागत दुकानें चलाने वाले खुदरा विक्रेताओं की यह शिकायत रही है कि ये ई- वाणिज्य प्लेटफार्म लगातार अनुचित व्यवहारों में लिप्त रहते हैं। इसके लिये वह सरकार के हस्तक्षेप की मांग करते रहे हैं।

आनलाइन विक्रेताओं के संगठन एआईओवीए के प्रवक्ता ने कहा कि इन प्लेटफार्म पर सामान बेचने वाले कई सदस्यों को व्यवसाय नहीं मिलता है और इसकी वजह से उनहें दुकान बंद करनी पड़ जाती है।

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