AGR मामले में एयरटेल को सुप्रीम कोर्ट से फौरी राहत, तीन सप्ताह तक बैंक गारंटी नहीं भुनाने का आदेश
कंपनी ने वीडियोकान से स्पेक्ट्रम खरीदा था। वीडियोकान ने 2016 में छह सर्किल में 1800 मेगाहर्ट्ज बैंड में स्पेक्ट्रम के अधिकार एयरटेल को 4428 करोड़ रुपये में बेच दिए थे। एयरटेल का कहना है कि वीडियोकान को खुद अपने बकाये का भुगतान करना चाहिए।
नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने वीडियोकान टेलीकम्युनिकेशनंस के एजीआर बकाये मामले में भारती एयरटेल को फौरी राहत दी है। उच्चतम न्यायालय ने दूरसंचार विभाग को तीन सप्ताह तक भारती एयरटेल की बैंक गारंटी को नहीं भुनाने का आदेश दिया है। वीडियोकान टेलीकम्युनिकेशनंस ने एजीआर बकाये का भुगतान नहीं किया है। दूरसंचार विभाग ने 17 अगस्त को एयरटेल को एक नोटिस भेजकर कहा था कि अगर उसने एक हफ्ते के भीतर 1376 करोड़ रुपये का बकाया नहीं चुकाया तो उसकी बैंक गारंटी कैश कर ली जाएगी।
खास बात यह है कि इस संबंध में एयरटेल द्वारा दायर याचिका को जस्टिस एल नागेश्वर राव की अगुआई वाली पीठ ने सुनने से इन्कार कर दिया और उसे दूरसंचार विवाद समाधान एवं अपील अधिकरण (टीडीसैट) में जाने को कहा। सुनील मित्तल की अगुआई वाली भारती एयरटेल की दावा है कि वह अब तक सरकार को एजीआर बकाये के तौर पर 18004 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुकी है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक उसे 31 मार्च, 2021 तक 10 फीसद राशि का भुगतान करना था लेकिन वह इससे अधिक भुगतान कर चुकी है। कंपनी का कहना है कि उस पर कुल 45,356 करोड़ रुपये की देनदारी है। इसमें वीडियोकान का एजीआर बकाया शामिल नहीं है।
कंपनी ने वीडियोकान से स्पेक्ट्रम खरीदा था। वीडियोकान ने 2016 में छह सर्किल में 1800 मेगाहर्ट्ज बैंड में स्पेक्ट्रम के अधिकार एयरटेल को 4,428 करोड़ रुपये में बेच दिए थे। एयरटेल का कहना है कि वीडियोकान को खुद अपने बकाये का भुगतान करना चाहिए। कंपनी के वकील श्याम दीवान ने कहा कि दूरसंचार विभाग ने दिवालिया प्रक्रिया में वीडियोकान से इस बकाये की मांग की है।
हालांकि सालिसीटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि विभाग ने एयरटेल को जो नोटिस भेजा है वह कोर्ट के आदेश के मुताबिक है। विभाग ने अप्रैल में सुप्रीम कोर्ट में एक हलफनामा देकर कहा था कि एयरटेल ने वीडियोकान का एजीआर बकाया देने से इन्कार कर दिया है।