Air India की ‘उड़ान’ पर अब हर दिन टैक्सपेयर्स के 20 करोड़ रुपये नहीं होंगे खर्चः दीपम सचिव
पांडेय ने कहा ‘‘हम Tata Group को एयरलाइन सौंपने का काम जल्द पूरा करना चाहते हैं। एयरलाइन के परिचालन पर प्रतिदिन 20 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। एयरलाइन के नए मालिक को काफी पैसा खर्च करना होगा।
नई दिल्ली, पीटीआइ। तीन अलग-अलग मंत्रियों के कार्यकाल, नियमों में कई बार हुए बदलाव, दो बार मिशन रुकने के बाद अंतत: अब दो दशक पश्चात देश के टैक्सपेयर्स को घाटे में चल रही एयरलाइन Air India को उड़ान में बनाए रखने के लिए हर दिन 20 करोड़ रुपये नहीं देने होंगे। लोक संपत्ति एवं प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तुहिन कांत पांडेय ने यह बात कही है। उन्होंने कहा है कि 'Tata को हम दुधारू गाय नहीं सौंप रहे हैं। यह एयरलाइन संकट में थी और इसे खड़ा करने के लिए धनराशि लगाने की जरूरत होगी।' पांडेय ने कहा कि टाटा एक साल तक Air India के कर्मचारियों को नौकरी से नहीं हटा सकती है। इस अवधि के बाद भी अगर उसे अपने कर्मचारियों की संख्या में बदलाव करना है, तो स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) देनी होगी।
उन्होंने कहा, ‘‘यह कार्य आसान नहीं होगा। Air India की नई मालिक टाटा को केवल इस बात का फायदा है कि वे उस कीमत का भुगतान कर रहे हैं जिसमें उन्हें लगता है कि वे इसका प्रबंधन कर सकेंगे। वे पिछले वर्षों के दौरान घाटे को पूरा करने के लिए जुटाए गए अतिरिक्त कर्ज को नहीं ले रहे हैं। हमने इसे चालू हालत में बरकरार रखा है। इस प्रक्रिया से करदाताओं का भी काफी पैसा बचा है।’’
उल्लेखनीय है कि इसी महीने सरकार ने Tata Group की होल्डिंग कंपनी की इकाई टैलेस प्राइवेट लि. की एयर इंडिया के लिए पेशकश को स्वीकार कर लिया था।
पाण्डेय ने कहा, ‘‘टाटा को जो 141 विमान मिलेंगे, उनमें से 42 लीज वाले और शेष 99 अपने स्वामित्व वाले होंगे। इंजन और अन्य रखरखाव की वजह से इनमें से कई विमान अभी खड़े हैं।’’
पांडेय ने कहा, ‘‘हम Tata Group को एयरलाइन सौंपने का काम जल्द पूरा करना चाहते हैं। एयरलाइन के परिचालन पर प्रतिदिन 20 करोड़ रुपये खर्च हो रहे हैं। एयरलाइन के नए मालिक को काफी पैसा खर्च करना होगा। विमानों में सुधार के लिए निवेश करना होगा, उन्हें नए सिरे से तैयार करना होगा। बेकार पड़ चुके विमानों के लिए नए ऑर्डर देने होंगे। उसके बाद ही वे पुनरुद्धार कर सकते हैं। इसके अलावा यह भी शर्त लगाई गई है कि वे एक साल तक कर्मचारियों को निकाल नहीं सकते। दूसरे साल से उन्हें कर्मचारियों को हटाने के लिए वीआरएस देना होगा।’’