कृषि बनेगी अर्थव्यवस्था की खेवनहार, 2.7 फीसद बढ़ोतरी का अनुमान

फिक्की के इकोनॉमिक आउटलुक सर्वे के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2020-21 में देश में कृषि क्षेत्र की विकास दर 2.7 फीसद रह सकती है।

By Manish MishraEdited By: Publish:Mon, 13 Jul 2020 08:14 AM (IST) Updated:Mon, 13 Jul 2020 08:29 AM (IST)
कृषि बनेगी अर्थव्यवस्था की खेवनहार, 2.7 फीसद बढ़ोतरी का अनुमान
कृषि बनेगी अर्थव्यवस्था की खेवनहार, 2.7 फीसद बढ़ोतरी का अनुमान

नई दिल्‍ली, जागरण ब्‍यूरो। वैश्विक महामारी कोरोना की वजह से सकल घरेलू उत्पाद (GDP) के जहां साथ तमाम सेक्टर की विकास दर में भारी गिरावट की आशंका जाहिर की जा रही है, वहीं देश के कृषि क्षेत्र में पिछले साल के मुकाबले बढ़ोत्‍तरी का अनुमान लगाया जा रहा है। देश की कृषि व्यवस्था महामारी में फंसी अर्थव्यवस्था की नैया पार लगा सकती है। औद्योगिक संगठन फिक्की के इकोनॉमिक आउटलुक सर्वे के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2020-21 में देश में कृषि क्षेत्र की विकास दर 2.7 फीसद रह सकती है। 

सर्वे में देश की कुल विकास दर में पिछले वित्त वर्ष की विकास दर के मुकाबले 4.5 फीसद की गिरावट का अनुमान लगाया गया है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) की विकास दर में पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के मुकाबले 14.2 फीसद की गिरावट का अनुमान लगाया गया है। इकोनॉमिक सर्वे में चालू वित्त वर्ष में इंडस्ट्री में 11.4 फीसद तो सेवा क्षेत्र में 2.8 फीसद की गिरावट रहने का अनुमान लगाया गया है। 

आर्थिक विशेषज्ञों ने अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए सरकार से दूसरी राहत पैकेज की भी मांग की है।इकोनॉमिक आउटलुक सर्वे के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के दौरान अर्थव्यवस्था के प्राथमिक सेक्टर कृषि की अधिकतम विकास दर 4 फीसद तक जा सकती है और एकदम खराब प्रदर्शन रहने पर कृषि क्षेत्र में 0.8 फीसद की गिरावट भी आ सकती है। 2.7 फीसद की दर इन दोनों के बीच की है। 

सर्वे के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में जीडीपी के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन में अधिकतम 1.5 फीसद तक की बढ़ोतरी हो सकती है और एकदम बेकार स्थिति रहने पर 6.4 फीसद की गिरावट दर्ज की जा सकती है।सेवा क्षेत्र में भी चालू वित्त वर्ष के दौरान अधिकतम 0.1 फीसद की बढ़ोतरी हो सकती है और एकदम खराब प्रदर्शन पर 4.5 फीसद की गिरावट आ सकती है। इस अवधि में इंडस्ट्री सेक्टर में अधिकतम 14 फीसद की गिरावट रह सकती है और प्रदर्शन उम्दा रहने पर यह गिरावट सिमट कर 2.3 फीसद के स्तर तक रह सकती है।

इकोनॉमी आउटलुक सर्वे के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में थोक महंगाई दर में 0.3 फीसद की गिरावट रह सकती है। वहीं, खुदरा महंगाई दर में 4.4 फीसद के स्तर तक बढ़ोतरी हो सकती है। सर्वे में भाग लेने वाले अर्थशास्त्रियों के मुताबिक अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए अब तक जो उपाय किए गए हैं, उससे खास फर्क नहीं आया है। इसलिए सरकार की तरफ से दूसरे राहत पैकेज की दरकार है। खासकर गरीबों के खाते में पैसे ट्रांसफर होने चाहिए ताकि खपत बढ़ सके।

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