अब मानक आधारित होंगे अगरबत्ती उत्पाद; बीआइएस, एफएफडीसी और अगरबत्ती एसोसिएशन तय कर रहे व्यवस्था

एफएफडीसी के प्रधान निदेशक डा. शक्ति विनय शुक्ला ने बताया कि यह प्रोजेक्ट पिछले एक वर्ष से चल रहा है। मानकों को लेकर एक बार कमेटी की बैठक हो चुकी है। कारोबारियों और वैज्ञानिकों की राय के बाद अब इसे बेहतर किया जा रहा है।

By Ankit KumarEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 07:45 PM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 07:45 PM (IST)
अब मानक आधारित होंगे अगरबत्ती उत्पाद; बीआइएस, एफएफडीसी और अगरबत्ती एसोसिएशन तय कर रहे व्यवस्था
अगरबत्ती में चंदन, गुलाब, खस आदि के पाउडर का उपयोग होता है।

कन्नौज, जागरण ब्यूरो। जिसने जैसी भी अगरबत्ती बनाकर बाजार में उतार दी, उसकी बिक्री शुरू हो गई। अब ऐसा नहीं होगा। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआइएस) अगरबत्ती उत्पादों के मानक निर्धारित करने जा रहा है। कन्नौज के सुगंध एवं सुरस विकास केंद्र (एफएफडीसी) और अगरबत्ती एसोसिएशन को साथ लेकर व्यवस्था बनाई जा रही है। इसमें तय किया जाएगा कि केमिकल व बंबू स्टिक कैसे हों और इनका कैसा अनुपात रहे।

उपभोक्ता मामलों, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अधीन उत्पादों के मानक निर्धारित करने वाले बीआइएस और कन्नौज स्थित एफएफडीसी इस पर संयुक्त रूप से काम कर रहे हैं। एफएफडीसी के प्रधान निदेशक डा. शक्ति विनय शुक्ला ने बताया कि यह प्रोजेक्ट पिछले एक वर्ष से चल रहा है। मानकों को लेकर एक बार कमेटी की बैठक हो चुकी है। कारोबारियों और वैज्ञानिकों की राय के बाद अब इसे बेहतर किया जा रहा है। जल्द ये मानक पूरे देश के अगरबत्ती उद्योग पर लागू होंगे। डा.शुक्ला ने बताया कि अगरबत्ती एसोसिएशन आफ इंडिया जल्द ऐसे मैटीरियल और केमिकल की सूची देगी, जिनका उपयोग नुकसानदेह है।

ऐसे बनेंगे मानक

कौन सा मैटीरियल उपयुक्त : अगरबत्ती में चंदन, गुलाब, खस आदि के पाउडर का उपयोग होता है। इसमें देखा जाएगा कि इनके मिश्रण का उपयोग करने से कोई हानि तो नहीं है।

कितने फीसद मैटीरियल : इसके तहत निर्धारित किया जाएगा कि अगरबत्ती सामग्री का मिश्रण कितने फीसद रहेगा।

स्टिक की लंबाई-चौड़ाई : स्टिक की लंबाई और मोटाई भी तय होगी। इसी आधार पर मैटेरियल का फीसद तय होगा।

प्राकृतिक घटकों का हो मिश्रण : अगरबत्ती बनाने में चंदन व अगर-तगर जैसी सुगंधित लकडि़यों का प्रयोग होता है। इनमें एंटी-बैक्टीरियल गुण पाए जाते हैं। लेकिन इनमें मिलावट से सिर्फ बंबू स्टिक ही जलती है। इसे रोकने के लिए मानक जरूरी हैं। मानक बनने पर मिश्रण निश्चित रहेगा तो प्रदूषण से भी निजात मिल जाएगी।

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