RBI survey: जनता ने खुद बताया कि पहले से खराब हुए हैं आर्थिक हालात

RBI ने यह सर्वे अहमदाबाद बंगलुरू भोपाल चेन्नई दिल्ली गुवाहाटी हैदराबाद जयपुर कोलकाता लखनऊ मुंबई पटना व तिरुवनंतपुरम के 5334 घरों के परिवारों के बीच यह सर्वे करवाया है।

By Pawan JayaswalEdited By: Publish:Fri, 06 Dec 2019 07:57 PM (IST) Updated:Sat, 07 Dec 2019 09:27 AM (IST)
RBI survey: जनता ने खुद बताया कि पहले से खराब हुए हैं आर्थिक हालात
RBI survey: जनता ने खुद बताया कि पहले से खराब हुए हैं आर्थिक हालात

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। आर्थिक हालात को ट्रैक पर लाने के लिए सरकार की ओर से लगातार भले ही प्रयास किए जा रहे हो, लेकिन रास्ता बहुत मुश्किल दिख रहा है। आरबीआइ की तरफ से करवाये जाने वाले कंज्यूमर कांफिडेंस इंडेक्स ने इस बात का संकेत दे दिया है। रिपोर्ट का सार यह है कि देश के आर्थिक हालात, महंगाई, रोजगार की स्थिति को लेकर नाउम्मीदी रखने वालों की संख्या तेजी से बढ़ी है। देश के 13 बड़े शहरों में कराये गये इस सर्वेक्षण के मुताबिक नवंबर, 2019 में कंज्यूमर कंफिडेंस इंडेक्स घट कर 85.7 फीसद रही है। दो महीने पहले यह 89.4 फीसद थी।

देश में आम जनता का मूड भांपने के लिए आरबीआइ ने यह सर्वे अहमदाबाद, बंगलुरू, भोपाल, चेन्नई, दिल्ली, गुवाहाटी, हैदराबाद, जयपुर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई, पटना व तिरुवनंतपुरम के 5,334 घरों के परिवारों के बीच यह सर्वे करवाया है। हर दो महीने पर केंद्रीय बैंक यह सर्वे करवाता है और ब्याज दरों पर फैसला करने या आर्थिक विकास दर के अनुमान लगाने में इस सर्वे की अहम भूमिका होती है।

गुरुवार को ही आरबीआइ ने चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक विकास दर के अनुमान को 5 फीसद कर दिया है। पिछले सात महीनों में केंद्रीय बैंक उक्त अनुमान में पांच बार कटौती कर चुका है। अप्रैल, 2019 में विकास दर के 7 फीसद रहने का अनुमान लगाया गया था।

बहरहाल, सर्वे के मुताबिक नवंबर, 2019 में 51.6 फीसद लोगों ने कहा है कि सामान्य आर्थिक हालात पहले से खराब हुए हैं। 30 फीसद लोगों ने कहा है कि सुधरी है, जबकि 18.4 फीसद ने कहा है कि जस की तस है। अब दो महीने पहले के इसी सर्वे में 47.9 फीसद ने खराब होने की बात कही, 33.5 फीसद ने हालात सुधरने की बात कही और 18.6 फीसद ने स्थिति वैसी ही बने रहने की बात कही थी।

अगर एक वर्ष पहले के सर्वे को देखें, तो उक्त तीनों मानकों को मानने वाले लोगों का प्रतिशत 45.2, 33.2 और 21.6 रहा है। यानी बेहतरी की बात करने वालों की संख्या घटी है और हालात खराब होने की बात करने वालों की तादाद बढ़ी है। इस सर्वे में शामिल लोगों से यह भी पूछा गया है कि एक साल बाद उनकी क्या स्थिति होगी। इस पर उनका जवाब भी बहुत उत्साह जगाने वाला नहीं है।

नवंबर, 2019 में 48.9 फीसद लोगों ने कहा है कि हालात सुधरेंगे, 16.5 फीसद ने कहा है कि जस के तस रहेंगे और 34.7 फीसद ने कहा है कि हालात बिगड़ेंगे। अगर वित्त वर्ष की शुरुआत के सर्वे को देखे तो उक्त तीनों वर्ग में रहने वाले लोगों का प्रतिशत 66.4, 15.8 और 17.8 रहा है। नवंबर, 2018 के मुकाबले भी स्थिति लोगों की नजर में बिगड़ी ही है। लोगों की यही भावना रोजगार और कीमतों को लेकर भी है।

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