होम लोन लेते वक्त टैक्स बेनिफिट हासिल करने के लिए इन सेक्शन का रखें खास ध्यान

पहली बार लोन लेकर घर खरीदने वालों के मन में टैक्स बेनिफिट को लेकर कई तरह के सवाल होते हैं। लगभग सभी होम बायर्स होम लोन से जुड़े टैक्स बेनिफट्स से संबंधित जानकारियां हासिल करना चाहते हैं। आप कुछ सेक्शन को ध्यान में रखकर टैक्स बेनिफिट हासिल कर सकते हैं।

By Abhishek PoddarEdited By: Publish:Fri, 10 Sep 2021 04:34 PM (IST) Updated:Sat, 11 Sep 2021 08:46 AM (IST)
होम लोन लेते वक्त टैक्स बेनिफिट हासिल करने के लिए इन सेक्शन का रखें खास ध्यान
लगभग सभी होम बायर्स होम लोन से जुड़े टैक्स बेनिफिट्स से संबंधित जानकारियां हासिल करना चाहते हैं

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। पहली बार घर खरीदने वाले कई सारे ऐसे लोग हैं जो टैक्स बेनिफिट्स के बारे में जानना चाहते हैं। लगभग सभी होम बायर्स होम लोन से जुड़े टैक्स बेनिफिट्स से संबंधित जानकारियां हासिल करना चाहते हैं। होम लोन लेने वाले व्यक्ति को सेक्शन 24B और सेक्शन 80C और अन्य सेक्शन के तहत इनकम टैक्स बेनिफिट मिलता है। इन सेक्शन के तहत लोगों को 5 लाख तक का टैक्स बेनिफिट हासिल होता है। तो आइये जानते हैं कि किन किन सेक्शन के तहत आप टैक्स बेनिफिट हासिल कर सकते हैं।

सेक्शन 80C

पहली बार घर खरीदने वाले को सेक्शन 80C के तहत 1.5 लाख रुपये तक का आयकर का लाभ मिलता है। इसके अलावा होम लोन स्टैंप ड्यूटी के साथ-साथ होम लोन प्रिंसिपल कैटेगरी के तहत टैक्स के इस बेनिफिट का दावा किया जा सकता है। कर लाभ के इस दावे की कुछ शर्तें हैं, जैसे कि होम लोन लेने वाला व्यक्ति संपत्ति को कब्जे की तारीख से कम से कम पांच साल तक रखने के लिए बाध्य है।

सेक्शन 24B

सेबी रजिस्टर्ड इंवेस्टमेंट एडवाइजर जितेंद्र सोलंकी के अनुसार "आयकर अधिनियम की धारा 24B के तहत घर खरीदने वाले के लिए लोन के ब्याज पर 2 लाख रुपये तक की छूट मिलती है।"

हालांकि, इस तरह की छूट पर एक शर्त है और वह यह है कि जिस संपत्ति के लिए लोन लिया गया है, उसमें परिवार का कोई सदस्य या करदाता स्वयं निवास कर रहा हो।

सेक्शन 80EEA

सेबी रजिस्टर्ड इंवेस्टमेंट एडवाइजर जितेंद्र सोलंकी के अनुसार "आयकर अधिनियम की धारा 80EEA बेनिफिट को अफोर्डेबल हाउस के लिए डिडक्शन ऑफ इंट्रेस्ट को सरकार द्वारा शुरू किया गया था। इसके तहत पर पहली बार घर खरीदने वालों को 50 हाजर तक का इंट्रेस्ट का डिडक्शन मिलता है। हालांकि यहां शर्त यह है कि आवासीय होने के कारण संपत्ति की कीमत 45 लाख रुपये तक या इससे कम होना चाहिए। इसके साथ ही अप्रूवल का टेन्योर 1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2022 की समय सीमा में होना चाहिए।"

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