जिले में जलस्त्रोतों के विकास व हरियाली की बनी मेगा कार्ययोजना

ग्लोबल वार्मिंग जलस्त्रोतों में हो रहे ह्रास व हरियाली में कमी को देखते हुए जिलाधिकारी डा. निलेश रामचंद्र देवरे ने एक मेगा कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 26 Jun 2019 01:27 AM (IST) Updated:Wed, 26 Jun 2019 06:35 AM (IST)
जिले में जलस्त्रोतों के विकास व हरियाली की बनी मेगा कार्ययोजना
जिले में जलस्त्रोतों के विकास व हरियाली की बनी मेगा कार्ययोजना

बेतिया। ग्लोबल वार्मिंग, जलस्त्रोतों में हो रहे ह्रास व हरियाली में कमी को देखते हुए जिलाधिकारी डा. निलेश रामचंद्र देवरे ने एक मेगा कार्ययोजना तैयार करने का निर्देश दिया है। जिलाधिकारी की यह बेहतर पहल बताई जा रही है। इसके तहत 180 सरकारी पोखरों का जीर्णीद्धार कराने के साथ-साथ इस पर जामुन के पौेधे लगाए जाएंगे। यह काम मनरेगा के तहत कराए जाएंगे, जिसमें मानव दिवस का सृजन होगा और जरूरतमंदों को रोजगार मिलेगा। साथ ही इससे मत्स्य उत्पादन में भी भारी इजाफा होगा। इसको लेकर मंगलवार को जिलाधिकारी डा. देवरे ने एक बैठक कर मनरेगा के कार्यक्रम पदाधिकारियों को आवश्यक निर्देश देते हुए इस कार्य को शीघ्र शुरू करने को कहा है। डीएम ने बताया कि ग्लोबल वार्मिग एवं जलस्त्रोतों में हो रहे ह्रास को देखते हुए इस तरह की पहल की जा रही है। पोखरों के जीर्णोद्धार के क्रम में इसकी चौड़ाई एवं गहराई भी बढ़ाई जाएगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए अंचल वार पोखरों की सूची तैयार कर ली गई है और काम भी शीघ्र शुरू कर दिया जाएगा। इसमें पूर्व में शहर की लाइफ लाइन मानी जाने वाली चंद्रावत नदी का भी जीर्णोद्धार मनरेगा से कराए जाने की बात बताई गई है। नदी के दोनों ओर भी सघन पौधरोपण कराया जाएगा। इसके तहत बड़े-बड़े तालाबों का चयन किया गया है। जानकार बताते हैं कि जलस्त्रोतों के विकास हो जाने के बाद मत्स्य उत्पादन में भी बढ़ोतरी हो जाएगी। इसका परिणाम यह होगा कि लोगों को देसी मछलियां आसानी से उपलब्ध होंगी। इतना ही नहीं मछलियों के आयात का अनुपात भी घटेगा।

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