रूढि़वादी मानसिकता बदलने से ही महिला के अधिकारों की बंद होगी हकमारी

बेतिया। हर क्षेत्र में अब नारी शक्ति अपना जलवा बिखेर रही है। चाहे शिक्षा हो या राजनीति का।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 23 Oct 2020 12:13 AM (IST) Updated:Fri, 23 Oct 2020 12:13 AM (IST)
रूढि़वादी मानसिकता बदलने से ही महिला के अधिकारों की बंद होगी हकमारी
रूढि़वादी मानसिकता बदलने से ही महिला के अधिकारों की बंद होगी हकमारी

बेतिया। हर क्षेत्र में अब नारी शक्ति अपना जलवा बिखेर रही है। चाहे शिक्षा हो या राजनीति का। समाज सेवा, लेखन, कला, खेल या जांबाजी। हर क्षेत्र में महिलाओं ने अपनी प्रतिभा का जलवा दिखाया है। कामयाबी का यह सफर सिर्फ जिला, प्रदेश व देश स्तर पर ही नही, बल्कि विदेश में भी परचम लहरा कर महिला सशक्तिकरण का परिचय दिया है। पहले समाज व परिवार की बंदिश ऐसी कि घर की दहलीज लांघना भी संभव नहीं था। घूंघट की ओट से घर के कार्य निपटाना उनकी मजबूरी थी। लेकिन बदलते दौर में अब महिलाएं न केवल आत्म निर्भरता की राह पर है, बल्कि पुरुषों के साथ कदम से कदम मिला कर चल रही है। कई क्षेत्रों में तो महिलाओं ने पुरुषों को काफी पीछे छोड़ दिया है। खास कर पिछले दस साल में नारियां काफी सबल हुई हैं। अपनी मेहनत के बल पर नारियों ने अपना मुकाम बनाया। आज हालत यह है कि नारियां हर क्षेत्र में कदमताल कर चल रहीं हैं। लेकिन जब देश की लोकतांत्रिक व्यवस्था में सहभागिता की बात आती है तो यह निरंतर पीछे रह जाती है। लोकसभा से लेकर ग्राम पंचायत तक के चुनाव में मतदान में महिलाएं बराबरी नहीं कर पाती। मतदान के दायित्व निर्वहन आदि में भी हमेशा पुरुषों से पीछे रह जाती है। कभी घर गृहस्थी में फुर्सत नहीं मिली तो कभी अपने इस अधिकार का उपयोग करने की जिम्मेदारी नहीं समझी। गुरुवार को दैनिक जागरण द्वारा मतदान में नारी शक्ति की कब होगी शत-प्रतिशत भागीदारी विषय पर चुहड़ी में आयोजित महिला पैनल चर्चा में प्रबुद्ध महिलाओं ने भाग लिया। सभी ने कहा आज समाज शिक्षित जरूर हो रहा है लेकिन महिलाओं के अधिकारों को लेकर सोच नहीं बदली है। बेटी अपने पिता तथा पत्नी अपने पति के अनुमति के बिना एक कदम भी घर से बाहर नहीं निकल सकती। महिला सशक्तिकरण तभी संभव है जब महिलाओं में नेतृत्व की भावना पैदा की जाए तथा उन्हें भी घर का मुखिया बनाया जाए। जब तक महिलाएं सशक्त नहीं होगी समाज समृद्ध नही होगा। इसके लिए महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना होगा। राज्य साधन सेवी सह शिक्षिका मेरी एडलीन ने कहा कि महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरुक होना चाहिए। मतदान का अधिकार मिला है तो उसका खुल कर प्रयोग करें। तभी महिलाओं की समाज में भागीदारी बढ़ेगी। समाज में नारी शक्ति स्वावलंबी बन पाएगी। संत अग्नेश की प्राचार्य सिस्टर निर्मला ने कहा कि महिलाओं को उनके अधिकार तभी मिलेंगे जब वह मतदान करने के लिए घर से निकलेंगी। अब महिलाओं को भी मतदान के लिए आगे आना चाहिए। रूढि़वादी मानसिकता में बदलाव लाने की बेहद आवश्यकता है। माला सेराफिन ने कहा कि महिलाएं मतदान के प्रति रुचि नहीं लेतीं यह बहुत गलत है। जब हम ही अपने पसंद के नेता का चुनाव नही करेंगे तो फिर उससे देश के विकास और तरक्की की उम्मीद कैसे कर सकते हैं। वहीं दैनिक जागरण द्वारा शुरू किया गया सशक्त नारी समृद्ध समाज अभियान सराहनीय है इसके जरिए महिलाएं अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होंगी और समाज में नारी शक्ति स्वालंबी बन पाएगी। शिक्षिका शीला राकेश कहा कि जब हम जागरूक होगें तभी देश का विकास होगा। इसके लिए जरूरी है हम सभी घर से निकलें, मतदान करें, और त्योहार तो हर वर्ष आते है लेकिन मतदान का मौका पांच वर्ष के बाद मिलता है। चौपाल में सिस्टर शुद्धा, रजनी प्रताप, प्रिसी रॉबर्ट आदि मौजूद रही।

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