रोजा रखने में महिलाएं भी पीछे नहीं

माहे रमजान सबसे पवित्र महीना है। इस माह में सभी को रोजा रखना अनिवार्य है। इस माह में नगर हो या ग्रामीण क्षेत्र सभी जगह महिलाएं भी रोजा रखने में अव्वल हैं। ये सुबह पूरे परिवार के लिये सेहरी बनाती है।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 25 May 2019 11:13 PM (IST) Updated:Sat, 25 May 2019 11:13 PM (IST)
रोजा रखने में महिलाएं भी पीछे नहीं
रोजा रखने में महिलाएं भी पीछे नहीं

बगहा । माहे रमजान सबसे पवित्र महीना है। इस माह में सभी को रोजा रखना अनिवार्य है। इस माह में नगर हो या ग्रामीण क्षेत्र सभी जगह महिलाएं भी रोजा रखने में अव्वल हैं। ये सुबह पूरे परिवार के लिये सेहरी बनाती है। इसके उपरांत घर मे छोटे बच्चों का खाना बनाती है। दोपहर के बाद इफ्तार बनाने में लगी रहती है। सबके साथ इफ्तार के बाद खाना भी बनाती है। इसके बावजूद महिलाएं 30 रोजा रखती है। रोजे के साथ साथ कुरान की तिलावत, नमाज के साथ घर पर तरावीह भी पढ़ती है। आधी आबादी रोजा रखने में पुरुषों से किसी मामले में कम नही है। -----------------------------------------

तरावीह का अलग है मुकाम: नगर के ईदगाह मस्जिद, रत्नमाला, अंसारी टोला, पंवरिया टोला, दुमवालिया, मलकौली, नरवल, बरवल, कोल्हुआ, भैरोगंज समेत सभी मस्जिदों में तरावीह की नमाज पढ़ी जा रही है। इमाम जो हाफिज होते हैं, वे कुरान सुनाते हुए नमाज अता करते हैं। रोजा में तरावीह का बहुत आला मुकाम है। अधिकांश मस्जिदों में तरावीह अंतिम पड़ाव पर है।

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गर्मी, धूप में भी नन्हे रोजेदारों के हौसले बुलंद

नगर के रत्नमाला निवासी मो. रईस की 11वर्षीया पुत्री रुखसाना खातून रोजा रख रही है। भीषण गर्मी को देख उसकी मां ने रोजा रखने मना किया था। लेकिन, वह नहीं मानी। वह कहती है, मैं भी अल्लाह को राजी करके सबों के लिए जन्नत मागूंगी।

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ईदगाह मोहल्ला नगर के वार्ड 31 निवासी मो. असगर अली की 10 वर्षीय पुत्री साबरीन परवीन लगातार रोजा रख रही है। रोजा रखने के साथ स्कूल भी जा रही है। कहती है कि घर के सभी लोग रोजा रखते है। उनके साथ सेहरी खाने, नमाज पढ़ने के बाद एक साथ इफ्तार करना अच्छा लगता है।

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रत्नमाला निवासी वार्ड 32 के अमरजाद अंसारी की 11 वर्षीया पुत्री फहीमा खातून अब तक के सभी रोजे पूरी पाबंदी के साथ रख रही है। कहती है कि अल्लाह को रोजा बहुत पसंद है। रोजा में सब गुनाह अल्लाह माफ करता है। मैं सभी रोजा रखूंगी। अल्लाह से सबके लिये जन्नत मांगूंगी।

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रत्नमाला निवासी अजहर आलम की 12 वर्षीया पुत्री सोफिया खातून सभी रोजा रख रही है। रोजे के साथ नमाज भी पांच वक्त पढ़ती है। कहती है कि अल्लाह को रोजा के साथ नमाज बहुत पसंद है। रोजा में ही कुरान धरती पर आया था। अल्लाह सबको जन्नत दें।

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रमजान में होती सबों की दुआ कबूल

उर्दू व दीनी स्कूल अल्फलाह में उर्दू व अरबी की महिला शिक्षक राबिया खातून कहती हैं कि रमजान सब महीनों से अफजल महीना है। इस माह में अल्लाह सबकी दुआ कबूल करता है। लेकिन, चार लोगों की दुआ इस माह में भी अल्लाह कबूल नही करता है। शराबी, मां-बाप की नाफरमानी करने वाले पुत्र, लोगों से नफरत करने वाले व रिश्ते तोड़ने वालों के गुनाह रमजान में भी माफ नहीं होते। इस माह में सबसे अफजल रात शब्बे कदर है। इस रात इबादत करने वालों को एक हजार महीने की इबादत का सवाब मिलता है। ऐसे में इस माह का एक-एक पल अल्लाह की इबादत में सभी इस्लाम मानने वालों को गुजारनी चाहिए।

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