सिचाई की व्यवस्था होने से बंजर भूमि उगल रही सोना
सिकटा में वर्षों तक बंजर भूमि रही 20 एकड़ भूमि महेशड़ा रामजानकी मंदिर के महंत रामभूषण दास के अथक प्रयास से अभी सोना उगल रही है। इनसे प्रेरणा लेकर अन्य किसानों ने सिचाई के साधन विकसित कर लिए हैं और उन्नतशील खेत कर रहे हैं।
बेतिया । सिकटा में वर्षों तक बंजर भूमि रही 20 एकड़ भूमि महेशड़ा रामजानकी मंदिर के महंत रामभूषण दास के अथक प्रयास से अभी सोना उगल रही है। इनसे प्रेरणा लेकर अन्य किसानों ने सिचाई के साधन विकसित कर लिए हैं और उन्नतशील खेत कर रहे हैं। कभी मंदिर की यह भूमि मवेशियों के चारागाह के लिए था। अभी उस भूमि पर गन्ने की बेहतर खेती हो रही है। महंत ने मुख्यमंत्री नलकूप योजना से यहां सोलर चालित नलकूप वर्ष 2016 में लगाया। हालांकि आरंभ में कई तरह की तकनीकी बाधा आई लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। अभी सिचाई की मुकम्मल व्यवस्था हो जाने से पैदावार में चार गुना वृद्धि हुई है। महंत ने बताया कि वे वर्ष 2003 में रामजानकी मंदिर का कार्य भार संभाले थे। उस वक्त मंदिर की 20 एकड़ भूमि बंजर थी। बरसात के दिनों में बाढ़ से तबाह होता था तो गर्मी के दिनों में सुखाड़ के कारण रबी फसल की भी पैदावार नहीं होती थी। वे नलकूप लगाने के लिए प्रयास किए। कई बार नलकूप लगवाया भी। लेकिन जलस्तर करीब 200 फीट नीचे होने के कारण नलकूप सफल नहीं होता था। वर्ष 2016 में बिहार सरकार की नलकूप परियोजना की बियाडा योजना के तहत सोलर वाटर पंप तीन लाख की लागत से लगवाए। तब से खेती ठीक से होने लगी है। इसमें सिचाई करना काफी सस्ता है। डीजल इंजन से सिचाई करना पहले बहुत महंगा था। बाद में सरकार ने बिजली के माध्यम सिचाई का प्रबंध किया है जिसमें 75 पैसे प्रति यूनिट चार्ज का प्रावधान है। हालांकि सोलर वाटर पम्प की वजह से यह खर्च भी नहीं लगता है। मुख्यमंत्री नलकूप परियोजना के बियडा योजना से लगा सोलर वाटर पंप प्रति घंटा 3500 लीटर पानी उगलता है जो दस एकड़ भूमि की सिचाई के लिए पर्याप्त है।
------------------------ कृषि को बढ़ावा देने के लिए तत्पर रहते महंत
पूर्वी चंपारण के सुगौली थाना क्षेत्र के खिडी गांव निवासी महंत रामभूषण दास इलाके में उन्नतशील खेती के लिए जाने जाते हैं। वे अन्य किसानों को भी बेहतर खेती करने के लिए प्रेरित करते हैं। यही वजह है कि पिछले 15 वर्षो से पुरैना पंचायत के पैक्स अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने बताया कि सोलर नलकूप स्थापित करने के लिए बिहार सरकार का 90 फीसद अनुदान था। महज 30 हजार रुपये खर्च करने पर नलकूप लग गया। भौंरा के किसान साधुशरण सिंह, जगराहां के हरिशंकर सिंह, पप्पू सिंह ने भी नलकूप लगाया है। ------------------------
बंजर भूमि में सब्जी व फूल की खेती जगीराहां के किसान हरिशंकर सिंह ने बंजर भूमि में सोलर नलकूप की वजह से सब्जी व फूलों की खेती आरंभ की है। उन्होंने बताया कि सिकरहना नदी के किनारे भूमि है। जिससे वहां की मिट्टी बलूही है। बावजूद इस सोलर पंप से धान, गेहूं, गन्ना सहित सब्जी की उन्नत खेती हो रही है। बलथर पैक्स अध्यक्ष साधुशरण सिंह ने बताया कि एक समय था कि सिचाई के अभाव में यहां की भूमि बंजर थी। बालू की अधिकता थी। जंगल झाड़ी व अनुपयोगी घास उगते थे। आज वह सोना उगलने लगी है। यह सरकार की योजना की वजह से ही संभव हो सका है।
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सिचाई को बेहतर साधन विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है। अन्य किसानों को भी इस तरह का प्रयास करने के लिए जागरूक किया जा रहा है।
- मीरा शर्मा, प्रखंड विकास पदाधिकारी, सिकटा