उन्नतशील खेती के साथ वर्मी कंपोस्ट रोजगार का भी बेहतर साधन

इन दिनों गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत कृषि विज्ञान केन्द्र माधोपुर में जिले के किसानों को विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण दी जा रही है। ताकि वे किसानी करने के साथ -साथ रोजगार भी शुरू करें। इसी कड़ी में वर्मी कंपोस्ट निर्माण के बेहतर तकनीकी जानकारी दी गई है।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 13 Aug 2020 11:26 PM (IST) Updated:Thu, 13 Aug 2020 11:26 PM (IST)
उन्नतशील खेती के साथ वर्मी कंपोस्ट रोजगार का भी बेहतर साधन
उन्नतशील खेती के साथ वर्मी कंपोस्ट रोजगार का भी बेहतर साधन

बेतिया । इन दिनों गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत कृषि विज्ञान केन्द्र माधोपुर में जिले के किसानों को विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण दी जा रही है। ताकि वे किसानी करने के साथ -साथ रोजगार भी शुरू करें। इसी कड़ी में वर्मी कंपोस्ट निर्माण के बेहतर तकनीकी जानकारी दी गई है। तीन दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान केंचुआ खाद की उत्पादन की विधि, महत्व,लाभ इत्यादि के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान की गई। केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ एसके गंगवार ने कहा कि वर्मी कंपोस्ट उत्पादन के जरिए प्रवासी मजदूर स्थानीय स्तर पर रोजगार का सृजन कर सकते हैं। केंचुआ खाद से आय में बढ़ोतरी की जा सकती है। इन तीन दिवसीय प्रशिक्षण के दौरान केन्द्र के वैज्ञानिक डा. धीरु कुमार तिवारी ने केंचुआ खाद का महत्व तथा उत्पादन विधि के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि गोबर के अलावा

खेत, बाग तथा घर की रसोई से निकलने वाले जैविक अपशिष्ट का उपयोग केंचुआ खाद तैयार करने में किया जाता है। केंचुआ खाद महज 40-60 दिनों में ही तैयार हो जाता है, जिससे बहुत कम समय में ही आमदनी होने लगती है। मौके पर रूलही के प्रगतिशील किसान परशुराम सिंह ने वर्मी कंपोस्ट निर्माण में अपना अनुभव किसानों के बीच साझा किया। इस प्रशिक्षण में कुल 35 प्रशिक्षणार्थियों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम के अंत में सभी प्रशिक्षणार्थियों को प्रशिक्षण का प्रमाण-पत्र वितरित किया गया। मौके पर डॉ. कुमारी सुनिता, डॉ. प्रवीण मिश्रा आदि उपस्थित रहे।

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