वीटीआर में मानसून गश्त तेज, एक टीम में दस कर्मी शामिल

बगहा। वीटीआर में मानसून गश्त तेज हो गई है। मानसून के दौरान वन्यजीव तस्कर सक्रिय हो जाते ह

By JagranEdited By: Publish:Wed, 23 Jun 2021 11:24 PM (IST) Updated:Wed, 23 Jun 2021 11:24 PM (IST)
वीटीआर में मानसून गश्त तेज, एक टीम में दस कर्मी शामिल
वीटीआर में मानसून गश्त तेज, एक टीम में दस कर्मी शामिल

बगहा। वीटीआर में मानसून गश्त तेज हो गई है।

मानसून के दौरान वन्यजीव तस्कर सक्रिय हो जाते हैं। बारिश एवं हरियाली का सहारा लेकर वन्यजीव तस्कर बड़ी घटनाओं को अंजाम देते हैं। कुछ दिन पहले हिरण के मांस के साथ शिकारी पकड़े गए थे। एक गश्त टीम में दस वन्यकर्मियों को रखा गया है। गश्त की टीम को कई जिम्मेदारी भी दी गई है। टीम को वन्यजीवों के दिखाई देने तथा उनके पंजों के निशान को डायरी में दर्ज करना, कटान को देखना,मानवीय गतिविधियों पर नजर रखना, गश्त के बाद समीक्षा रिपोर्ट देना आदि शामिल है।

इस बाबत सीएफ हेमकांत राय ने बताया कि सभी रेंजों में अलर्ट कर दिया है। उन्हें निर्देश दिया है कि वे जंगल की विभिन्न गतिविधियों पर नजर रखें। बारिश के मौसम में जंगल के अंदर घुसपैठ, वन अपराध और शिकार की घटनाएं रोकने के लिए यह पेट्रोलिग पिछले वर्षों की अपेक्षा इस बार ज्यादा स्मार्ट और आधुनिक तकनीक से युक्त होगी। वन एवं वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए वन विभाग ने ऑपरेशन मानसून शुरू किया है। इसके लिए वनों में गश्त की जा रही है। ऑपरेशन मानसून के दौरान वन एवं वन्यजीव तस्करों का खतरा बढ़ जाता है। नेपाल एवं उत्तर प्रदेश से सटे क्षेत्रों पर खास निगाह रखी जा रही है। बरसाती नदियों में गश्त की जा रही है। उपलब्ध समस्त संसाधनों का प्रयोग गश्त में किया जा रहा है।

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बाघों की सुरक्षा एक चुनौती

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में बाघों की सुरक्षा को लेकर वन विभाग के सामने खास चुनौती रहती है। बाघों की सुरक्षा को लेकर सतर्कता बरती जा रही है।मानसून सीजन में जंगल और वन्यजीवों की सुरक्षा टाइगर रिजर्व के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होती है, क्योंकि इस दौर में प्राय: शिकारियों की घुसपैठ बढ़ने लगती है। जंगल के अंदर कच्चे रास्तों पर बारिश का पानी भरने से गश्त करने वाले कर्मियों के लिए जंगल के चप्पे-चप्पे की निगरानी रखने में मुश्किलें आती हैं। इसलिए गश्त में हाथी का इस्तेमाल किया जा रहा है। वन संपदा एवं वन्यजीवों की सुरक्षा तथा संरक्षण के लिहाज से बरसात के मौसम में वन कर्मियों की गश्त में मुश्किलें आने लगती हैं। बरसात के दिनों में जंगल के अंदर पानी भरने से रास्ते दलदल हो जाते हैं। ऐसे में वन विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों के लिए वाहनों के माध्यम से जंगल में गश्त करने में दिक्कतें आने लगती हैं। मानसून के दस्तक के साथ ही शिकारियों की गतिविधियां बढ़ने लगी हैं। कुछ दिन पूर्व वन विभाग की टीम की सतर्कता से शिकारी को दबोच लिया गया। दरअसल बरसात के दिनों में शिकारियों की घुसपैठ की आशंका बढ़ जाती है। ऐसे में वन विभाग की ओर से मानसून सीजन के दौरान गश्त को प्रभावी बनाने के लिए विशेष रणनीति तैयार की गई है। यह व्यवस्था 15 जून से लेकर 15 अक्टूबर तक लागू रहेगी। वनकर्मी टीम के साथ जंगल में गश्त कर रहें है। इसके लिए स्पेशल टीमें बनाकर लगाई गई हैं। वीटीआर में रैपिड रिस्पांस यूनिट की स्थापना की गई है। इसके लिए दो खास वाहन दिए गएं है। यह टीम किसी भी हिसक जानवर को काबू कर सकेगी।

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व में रेस्क्यू वाहन द्वारा जंगल में किसी भी वक्त घायल वन्य जीव को रेस्क्यू कर उसे पकड़ा जा सकता है। जंगल में किसी भी समय वन्य जीव को उपचार दिया जा सकता है जिसमें डॉक्टरों की टीम एवं उपयोगी सामान रखने की व्यवस्था है।

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