सेमरबारी पंचायत के करैया बसौली में बाढ़ के पानी में बही पुलिया

बगहा। भितहा प्रखंड के सेमरबारी पंचायत स्थित करैया बसौली के वार्ड नंबर तीन में कन्हैया बसौली

By JagranEdited By: Publish:Fri, 18 Jun 2021 11:17 PM (IST) Updated:Fri, 18 Jun 2021 11:17 PM (IST)
सेमरबारी पंचायत के करैया बसौली में बाढ़ के पानी में बही पुलिया
सेमरबारी पंचायत के करैया बसौली में बाढ़ के पानी में बही पुलिया

बगहा। भितहा प्रखंड के सेमरबारी पंचायत स्थित करैया बसौली के वार्ड नंबर तीन में कन्हैया बसौली से नैनाहा जाने वाली मुख्य मार्ग में पंचायत के द्वारा बनाई गई पुलिया बाढ़ के झोंके में बह गई। लगातार तीन दिन तक हुई वर्षा के कारण आई बाढ़ के चलते गंडक नदी में पूरी तरह से पानी भर गया था । जिसके चलते मधुबनी प्रखंड के चिउरही पंचायत एवं भितहा प्रखंड के सेमरबारी पंचायत के करैया बसौली में पूरी तरह से बाढ़ का पानी भर गया था। करैया- बसौली में पानी का धार इतना तेज था कि नैनहा आने वाली मुख्य मार्ग में बनी पुलिया पूरी तरह से बह गया। वहां पर लगभग 100 फीट गहरा कुंड बन गया है। लोग धनहा- रतवल मुख्य मार्ग पर आने में असमर्थ हैं ।लोगों का संपर्क पूरी तरह से टूट चुका है। ग्रामीणों की मानें तो पंचायत के द्वारा बनाए गए पुलिया में गुणवत्ता की काफी कमी थी। जिसके चलते वह पहले से ही क्षतिग्रस्त हो गया था । लेकिन पंचायत के द्वारा इस पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया है। जिसके चलते वह बाढ़ का एक झोंका भी नहीं सह सका। नारायणी नदी में जलस्तर कम, बाढ़ का खतरा बरकरार त्रिवेणी। नारायणी नदी का जलस्तर तो घटा है। लेकिन बाढ़ का खतरा अभी बरकरार है। जल तथा मौसम विज्ञान विभाग के बाढ़ तथा पूर्वानुमान महाशाखा द्वारा बताया गया है कि मानसून अभी भी सक्रिय है। इसलिए नेपाल के बड़ी तथा सहायक नदियों में बाढ़ आने की संभावना अभी बनी हुई है।

बताया गया है कि गोरखा, लमजुंग, मनांग, काश्की, धादिग, नुवाकोट, आदि क्षेत्रों से होकर बहने वाली नदियों का पानी आकर नारायणी नदी में मिल जाता है। जिसके कारण नारायणी नदी में बाढ़ की संभावना बढ़ जाती है। इसलिए सतर्कता बरतना जरूरी है। बताते चलें कि बीते मंगलवार को नारायणी नदी में जलस्तर अपने पुराने रिकॉर्ड को ध्वस्त कर नया रिकार्ड बना चुकी है। नारायणी बेसिन फील्ड कार्यालय भरतपुर के हाइड्रोजिस्ट राम बिकेश राय ने बताया कि मंगलवार की रात करीब 11 बजे नारायणी नदी का जलस्तर 44 वर्ष पूर्व पांच अगस्त 1974 में नारायणी नदी में मापा गया। सबसे उच्चतम जलस्तर 10.1 मीटर को भी पीछे छोड़ 10.26 मीटर पर पहुंच गया था। जिसके चलते विभिन्न खोला से होते हुए पानी कई गावों में पहुंच गया। अभी बारिश के कम होने तथा नारायणी नदी के जलस्तर का चेतावनी सतह से नीचे आ जाने के कारण बहुत राहत महसूस की जा रही है।

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