नदी में कोरोना पॉजिटिव का शव बह कर आने की अफवाह से मछली की बिक्री प्रभावित
बगहा। वाल्मीकिनगर थाना क्षेत्र में कोरोना संकट का असर अब खाने-पीने की चीजों पर भी देखने को ि
बगहा। वाल्मीकिनगर थाना क्षेत्र में कोरोना संकट का असर अब खाने-पीने की चीजों पर भी देखने को मिल रहा है। खास तौर पर गंडक नदी से निकलने वाली मछलियों की खपत बेहद घट गई है। लोग इसे खरीदने से परहेज कर रहे हैं। हालांकि एक अफवाह फैली कि नेपाली कोरोना मरीज का शव गंडक नदी में बह कर आया है। तब से कई लोगों ने संक्रमित होने के खौफ की वजह से मछली खाना बंद कर दिया है। जिससे बाजारों में मछलियों की बिक्री प्रभावित हुई है। हालांकि, विशेषज्ञों की माने तो पानी के जरिए महामारी के फैलने की आशंका नहीं है।
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मछुआरों के सामने भुखमरी की नौबत
बहरहाल गंडक नदी में शव के मिलने के अफवाह के बाद वाल्मीकिनगर के अधिकांश लोगों ने मछली खाने से मुंह फेर लेने के बाद से मछुआरों की परेशानी बढ़ गई है, जो इस लॉकडाउन में पहले ही परेशान थे अब मछलियां ना बिकने से इनके सामने भुखमरी के हालात पैदा हो गए हैं।मछलियां नहीं बिकने से इन्हें काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। अफवाह के कारण लोग गंडक नदी में पाई जाने वाली मछलियों को खाने से परहेज कर रहे हैं। ज्यादातर लोग अब तालाब की मछलियों की तरफ रुख करते नजर आ रहे हैं। हालात यह है कि गंडक नदी से मछली लाकर बेचने वाले व्यवसायी इन मछलियों की बिक्री न होने से परेशान हैं।
बताते चलें कि गंडक नदी की मछलियों का स्वाद सबसे अलग होता है। मछली के शौकीन लोगों का मानना है कि गंडक नदी के पानी में और उसकी धाराओं में मछलियों के लिए आदर्श खाद्य पदार्थ होता है। इसलिए यहां की मछलियां तो इलाके भर में मशहूर है। इस बाबत गंडक बराज नियंत्रण कक्ष के सूत्रों ने बताया कि गंडक नदी में शव मिलने का पहला मामला नहीं है। अक्सर नेपाल से शव बह कर आता रहता है। लेकिन कोरोना काल में शव बह कर आने की अफवाह से मछली के शौकीन लोगो में बेचैनी बढ़ गई है। मछली के शौकीनों की माने तो नदी में बह कर आए शवों को मछलियां खा जाती हैं। यदि शव कोरोना से संक्रमित हो तो वह भी लोगों के पेट में पहुंच सकता है। चूंकि मछलियां लोगों का खाद्य स्त्रोत होती हैं और ऐसे में ये तत्व लोगों की थाली में भी पहुंच सकते हैं।