नहीं हुई कोई खरीदारी, पुराने कपड़े पहन बच्चे मनाएंगे ईद
बगहा। वैश्विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर ने ईद की विधि व्यवस्था को बदल कर रख दिया है।
बगहा। वैश्विक महामारी कोरोना की दूसरी लहर ने ईद की विधि व्यवस्था को बदल कर रख दिया है। अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्र देवराज पूरा रमजान संक्रमण के साये व लॉकडाउन में ही बीतने को है। सरकार के दिशा निर्देश व इमामों के आदेश के बाद रोजेदारों ने अपने घरों में ही इबादत की है। किसी भी परिवार में सामूहिक अफ्तारी नहीं हुई है। सभी लोग अपने घरों में ही अफ्तारी की है। हर ईद में दीन-दु:खियों के बीच सामग्रियां बांटने वाले समाजसेवी मो. शाजिद द्वारा कोरोना से बचाव के कारण कोई सामग्री नहीं बांटी गई। उन्हें अफसोस है कि कपड़े की दुकानें बंद होने के कारण वे अपने निकटतम परिचितों को नये कपड़े का उपहार भी नहीं दे पाये हैं। इमामों द्वारा रमजान के आरंभ होने से पहले से ही मस्जिदों और ईदगाहों में भीड़ इकट्ठा नहीं करने की सलाह दी जा रही है। गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी खरीदारी बिल्कुल नहीं हुई है। केवल किराने की दुकानों से खाने-पीने के सामानों की खरीदारी हुई है। क्षेत्र के अल्पसंख्यक परिवार नये कपड़े एवं अन्य रेडीमेड सामान खरीदने की बात सोच ही रहे थे कि लॉकडाउन लग गया। रेडिमेड की जगह घर पर ही बनी सेवई:
रामनगर प्रखंड के सबेया देवराज के पकड़ी गांव की गृहिणी शिरीन फातिमा का कहना है कि ईद के अब केवल तीन दिन ही बाकी रह गए हैं। रेडीमेड सेवई की जगह घर पर ही पारंपरिक सेवई बनी है। लॉकडाउन लगने के कारण स्पेशल शाही सेवई भी नहीं बन पाई है। पकड़ी गांव की हाजरा खातून का कहना है कि घर के किसी भी व्यक्ति के लिए नये कपड़े नहीं खरीदे गए हैं। ईद जैसे महापर्व में सभी लोग पुराने कपड़े से ही काम चलाएंगे। खाने-पीने की चीजें तो खरीदी गई हैं पर कपड़े, जूते-चप्पल से लेकर विभिन्न प्रकार की सेवइयों की खरीदारी नहीं हो पाई है। इस बार लॉकडाउन की वजह से लोगों की खरीदारी भी सीमित ही रही है।