वीटीआर से निकला 14 फीट लंबा किग कोबरा, मची अफरातफरी
बगहा। लॉकडाउन के बीच वीटीआर के जंगल से निकल कर एक किग कोबरा रॉयल वाल्मीकि रिसोट
बगहा। लॉकडाउन के बीच वीटीआर के जंगल से निकल कर एक किग कोबरा रॉयल वाल्मीकि रिसोर्ट के पास पहुंचा। जिससे गांव में अफरातफरी मच गई। काफी मशक्कत के बाद वन विभाग की टीम उसको पकड़कर सुरक्षित जंगल में छोड़ दिया।
थाना क्षेत्र के लक्ष्मीपुर रमपुरवा पंचायत स्थित रॉयल वाल्मीकि रिसोर्ट के पीछे ठाढ़ी गांव के ग्रामीणों की सांसें तब अटक गई। जब गांव में फन उठाए किग कोबरा दिखाई दिया। गांव वालों ने किसी तरह घर से भाग कर जान बचाई।
ग्रामीणों ने बताया कि शनिवार की देर शाम एक किग कोबरा गांव में घुस आया।
उसे देख कर ग्रामीणों ने वन विभाग को इसकी सूचना दी। जिसके बाद सांपों को पकड़ने वाले वनकर्मी मौके पर पहुंचे। करीब एक घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद उन्होंने इस विशेष प्रजाति के 14 फीट लंबे किग कोबरा को काबू में किया।
इस बाबत वाल्मीकि व्याघ्र परियोजना के रेंजर महेश प्रसाद ने बताया कि यह किग कोबरा की एक विशेष प्रजाति है। जो बेहद खतरनाक है। कोबरा के पास 500 मिली ग्राम जहर: जानकारों की मानें तो कोबरा के पास करीब 500 मिलीग्राम जहर की मात्रा होती है। इनके काटने से एक हाथी की भी मौत हो सकती है। कोबरा भी अन्य सांपों की तरह घोंसले बनाते हैं और उनमें अपने अंडे देते हैं। अपने अंडों की रक्षा करते हैं। कोबरा कई दिनों या महीनों तक बिना भोजन के रह सकते हैं। एक बार भर पेट भोजन करने के बाद किग कोबरा करीब दो साल तक जीवित रह सकता है। इनका जहर अगर आंखों में चला जाए तो सही इलाज ना मिलने से आंखों की रोशनी भी जा सकती है। इनका जहर न्यूरोटॉक्सिक होता है। इसका जहर सीधे तंत्रिका तंत्र पर असर करता है। जिससे शरीर में गंभीर दर्द होता है और चक्कर आने लगते हैं, सही समय पर इलाज न मिलने पर व्यक्ति कोमा में चला जाता है और फिर जल्द ही उसकी मौत हो जाती है। किग कोबरा बहुत रेयर केस में ही अपने जहर का प्रयोग करता है। वीटीआर में पिछले पांच साल में दो दर्जन से अधिक किग कोबरा का रेस्क्यू किया गया है।
बताते चलें कि वीटीआर के वनवर्ती गांवों में आए दिन जहरीले सांप और अजगर निकलते रहते हैं। अक्सर ये सांप लोगों के घरों में घुस जाते हैं। ऐसे में इसे रेस्क्यू करने के लिए वन विभाग की टीम को बुलाना पड़ता है।