हड्डियों में चोट लगे तो चिकित्सक से लें सलाह, नहीं तो हो सकते हैं हीमोफीलिया के शिकार

बगहा। हीमोफीलिया से पीड़ित मरीज के लिए सरकार की तरफ से निशुल्क इलाज की व्यवस्था है। लेकि

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 11:46 PM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 11:46 PM (IST)
हड्डियों में चोट लगे तो चिकित्सक से लें सलाह, नहीं तो हो सकते हैं हीमोफीलिया के शिकार
हड्डियों में चोट लगे तो चिकित्सक से लें सलाह, नहीं तो हो सकते हैं हीमोफीलिया के शिकार

बगहा। हीमोफीलिया से पीड़ित मरीज के लिए सरकार की तरफ से निशुल्क इलाज की व्यवस्था है। लेकिन बगहा दो प्रखंड के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हरनाटांड़ में अगर इस बीमारी से ग्रसित कोई मरीज आ गया तो समझो उसकी सामत आ गई। क्योंकि इस बीमारी से लगने वाला इंजेक्शन यहां उपलब्ध नहीं है। दरअसल स्वास्थ्य विभाग ने हीमोफीलिया ए और हीमोफीलिया बी की फैक्टर 8 व 9 की सुई यहां आज तक उपलब्ध ही नहीं कराई है।

हरनाटांड़ स्थित सुनैना स्मृति सेवा संस्थान के चिकित्सक डॉ. कृष्ण मोहन राय बताते हैं कि हिमोफीलिया एक सबसे पुराना जेनेटिक रक्तस्त्राव रोग में से एक है। इस बीमारी में खून के थक्के बनने की प्रक्रिया धीमी हो जाती है। ऐसे में कोई छोटी चोट लगने पर भी रोगी को काफी देर तक रक्त स्त्राव होता रहता है। खासतौर हिमोफीलिया के रोगियों में घुटनों, टखना और कोहनियों के अंदर होने वाले रक्तस्त्राव अंगों और उत्तकों को भारी नुकसान पहुंचाता है। चिकित्सक डॉ. कृष्ण मोहन राय के अनुसार, जिन लोगों में उपरोक्त लक्षण दिखें, उन्हें एक बार चिकित्सक से सलाह अवश्य लेनी चाहिए और उन्हें अपनी डायट का खास ख्याल रखने की •ारूरत है। सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन के अनुसार, 'हीमोफीलिया का इलाज मिसिग ब्लड क्लॉटिग फैक्टर को हटाकर किया जा सकता है।' इसके अलावा इंजेक्शन के जरिए भी इस बीमारी का उपचार किया जाता है, जो एक मेडिकल प्रोसीजर है और विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम द्वारा किया जाता है। हीमोफीलिया के प्रकार :

हीमोफीलिया को हीमोफीलिया ए व हीमोफीलिया बी दो वर्गों में वर्गीकृत किया गया है। हीमोफीलिया ए में फैक्टर-8 की मात्रा बहुत कम या शून्य हो जाती है, जबकि हीमोफीलिया बी फैक्टर-9 के शून्य या बहुत कम होने पर होता है। लगभग 80 फीसद हीमोफीलिया रोगी हीमोफीलिया ए से पीड़ित होते हैं। सामान्य हीमोफीलिया के मामले में पीड़ित को कभी-कभी रक्त स्त्राव होता है। जबकि स्थिति गंभीर होने पर अचानक वह लगातार रक्त स्त्राव हो सकता है। हीमोफीलिया के मुख्य लक्षण : - सामान्य या गंभीर चोट लग जाने के बाद खून लगातार बहता रहता है।

- शरीर के अलग-अलग जोड़ों में दर्द

- बिना चोट लगे भी कोहनी, घुटना या कूल्हा आदि में आंतरिक रक्तस्त्राव से सूज जाते हैं जोड़े, जिससे होती है असहनीय पीड़ा

- शरीर के किसी भी हिस्से में अचानक सूजन होना

- मल या पेशाब में रक्त दिखना

- नाक से खून आना

- कमजोरी या थकान महसूस करना

- शरीर में नीले नीले निशानों का बनना

- त्वचा को बहुत देर तक मसलने से या फिर बच्चों के दांत आने के समय और दांत उखाड़ने के समय बहुत ज्यादा रक्तस्त्राव होना।

- शिशु के चलना सीखते समय जोड़ों व मांसपेशियों में चोट लगने पर या फिर सूजन होने पर रक्तस्त्राव होना

- लगातार गिरने या फिर चोट लगने पर बहुत अधिक रक्तस्त्राव बयान : हीमोफीलिया एक अनुवांशिक रोग है। जिसमें शरीर से रक्त का बहना नहीं रुकता। यह एक खतरनाक बीमारी है। इस बीमारी की चपेट में .ती फीसद लोग ही आते हैं। इसके लिए दो प्रकार की इंजेक्शन आती है। लेकिन पीएचसी में यह उपलब्ध नहीं है। इससे संबंधित मरीजों को अनुमंडलीय अस्पताल में रेफर किया जाता है। जहां उसका समुचित इलाज संभव है।

- डॉ. राजेश सिंह नीरज, प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी

पीएचसी हरनाटांड़

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