जरूरतमंदों को ऋण मुहैया कराने में बैंकों की अहमियत बढ़ी, सूदखोर हुए पश्त

बेतिया। काफी समय से ही सूदखोरी प्रथा खतरनाक रही है। एक बार सुदखोरों के चंगुल में फंसने के बाद वहां से संबंधित लोगों को निकलना काफी मुश्किल होता था।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 27 Sep 2021 11:20 PM (IST) Updated:Mon, 27 Sep 2021 11:20 PM (IST)
जरूरतमंदों को ऋण मुहैया कराने में बैंकों की अहमियत बढ़ी, सूदखोर हुए पश्त
जरूरतमंदों को ऋण मुहैया कराने में बैंकों की अहमियत बढ़ी, सूदखोर हुए पश्त

बेतिया। काफी समय से ही सूदखोरी प्रथा खतरनाक रही है। एक बार सुदखोरों के चंगुल में फंसने के बाद वहां से संबंधित लोगों को निकलना काफी मुश्किल होता था। लेकिन जिले में आज के परिवेश में सूदखोरों की सक्रियता पर लगाम लगी है। मनी लेंडिग करने एवं इसके एवज में मनमना सूद की वसूली करने के एकाधिकार पर भी रोक लगी है। वर्तमान में ऐसे कुटील महत्वाकांक्षा रखने वाले सूदखारों के मंसूबे पर पानी फिरने लगे हैं। इसका मुख्य कारण जिले में निजी बैंकों एवं स्मॉल फाईनेंसिग संस्थाओं की गतिविधियों का बढ़ना है। इन बैंकों के द्वारा आसान शर्ताें पर जरूरतमंदों को ऋण मुहैया कराया जा रहा है। उसके एवज में उनसे आसान किश्तों पर ऋण का भरपाया कराया जाता है। विशेषकर छोटे स्तर एवं कम आय वर्ग के लोग अपनी जरूरतों को लेकर पहले सूदखारों के गिरफ्त में आते थे। आज उनके लिए समूह के माध्यम से इन बैंकों के द्वारा ऋण मुहैया कराई जा रही है। इनमें उत्कर्ष बैंक अकेले 14 हजार से ज्यादा जरूरतमंदों को लाभान्वित किया है। इसके अलावा उजीवन स्मॉल फाईनेंसिग भी इस दिशा में बेहतर काम कर रहा है। वहीं निजी बैंकों की बात करें, तो जिले में पांच बैंक की अलग-अलग शाखाओं में समूह के माध्यम से ऋण दिए जाते हैं। वहां जरूरतमंदों को व्यवसाय ऋण भी दिए जाते हैं। ऋणियों की सुविधाओं को देखते हुए इन बैंकों की ओर से सप्ताहिक ऋण वसूली की भी सुविधा दी गई है। हालांकि जिले में पब्लिक सेक्टर बैंक भी लोगों की जरूरतों को पूरा कर रहे हैं।

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जरूरत के हिसाब से लोगों को मिल जाती है बड़ी रकम

जिले में कई लोगों को उनकी जरूरत के हिसाब से बड़ी राशि मिल जाती है। इसके लिए उन्हें एक से दो फीसद सूद देना पड़ता है। नाम नहीं छापने के शर्त पर कई लोगों ने बताया कि वे अपनी आवश्यकता को लेकर महाजन से ऋण लेते हैं और उन्हें जरूरत पूरा होने के बाद लौटा देते हैं। इसमें उन्हें कोई परेशानी नहीं होती है। इसमें उन्हें बैंकों की फार्मलिटी का भी चक्कर नहीं रहता। वैसे देखा जाय, तो पिछले दो वर्षो में सूदखोरी को लेकर कोई बड़ा मामला प्रशासन के सामने नहीं आया है।

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कोट

जिले में कई पब्लिक सेक्टर बैंकों के अलावा कई स्मॉल फाईनेसिग एवं निजी बैंक हैं, जो जरूरतमंदों को आसान शर्तों पर ऋण मुहैया कराता है।

राम प्रबोध सिन्हा

अग्रणी बैंक प्रबंधक

पश्चिम चंपारण

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