ऐतिहासिक त्रिवेणी संगम पर नहीं लगेगा मेला

बगहा। कोराना संकट के बीच अनलॉक-2 में भी जारी प्रतिबंधों के कारण इस बार वाल्मीकिनगर में लगने वाले श्रावणी मेला का आयोजन नहीं होगा।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 05 Jul 2020 01:17 AM (IST) Updated:Sun, 05 Jul 2020 06:13 AM (IST)
ऐतिहासिक त्रिवेणी संगम पर नहीं लगेगा मेला
ऐतिहासिक त्रिवेणी संगम पर नहीं लगेगा मेला

बगहा। कोराना संकट के बीच अनलॉक-2 में भी जारी प्रतिबंधों के कारण इस बार वाल्मीकिनगर में लगने वाले श्रावणी मेला का आयोजन नहीं होगा।

इस बाबत थानाध्यक्ष जयप्रकाश सिंह ने बताया कि सरकार के द्वारा धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन को लेकर जारी गाइडलाइन के अनुसार यह फैसला लिया गया है। बिहार राज्य धार्मिक न्यास बोर्ड ने 04 अगस्त तक शिवालयों में किसी प्रकार का समारोह करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। गाइडलाइन के अनुसार शिवालयों में केवल सामान्य पूजा होगी। किसी प्रकार का आयोजन नहीं होगा। विदित हो कि जटाशंकर धाम में एक माह तक श्रावणी मेला का व्यापक स्तर पर आयोजन होता था। अब तक के इतिहास में पहली बार मेला का आयोजन नहीं हो रहा है। मेला कई लोगों के रोजगार का द्वार खोलता है। कई वर्गों के लोगों को मेला बीत जाने के बाद अगला मेला का इंतजार रहता है। श्रावणी मेला का अर्थशास्त्र काफी बड़ा है। एक माह तक चलने वाले मेला में लगभग 40 से 50 हजार कांवरिये आते हैं। एक कांवरिया लगभग 200 से 500 खर्च अवश्य करते हैं। इनमें होटल, रेस्टोरेंट, कपड़ा, पुरोहित, कांवर, डिब्बा, पूजा-पाठ सामग्री, लाठी, अगरबत्ती आदि के व्यवसाय की तैयारी कई महीनों से होती है। एक अनुमान के मुताबिक मेला नहीं लगने से लाखों का कारोबार प्रभावित होगा।

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हजारों में होती है पुरोहितों की कमाई :-

मेला नहीं लगने से उन सभी पुरोहितों को आर्थिक नुकसान हो गया है । मेला में एक कांवरिया न्यूनतम 200 रुपये के कपड़े की खरीदारी अवश्य करता है।श्रावणी मेला के दौरान बाबा का सहारा लाठी अधिकतर कांवरिये वाल्मीकि नगर से ही खरीदते थे। एक माह के दौरान 40 से 50 हजार कांवरिये में से 75 प्रतिशत कांवरिये लाठी का इस्तेमाल करते हैं। एक लाठी की कीमत 50 से 60 रुपये होती थी। पॉलिसीट भी कांवरिया खरीदते थे। एक पॉलिसीट 20 रुपये में मिलता था। मेला के दौरान बोतल बंद पानी व कोल्ड ड्रिक्स की ब्रिकी बड़े पैमाने पर होती थी। एक बोतल बंद पानी 15 से 20 रुपये तथा कोल्ड ड्रिक्स 35 से 40 रुपये में मिलता है। मेला नहीं लगने से इन कारोबार को झटका लगा है।

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