बालिकाओं के सम्मान से ही समाज की गरिमा बरकरार
बेतिया । हर साल 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है।
बेतिया । हर साल 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। 19 दिसंबर 2011 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बालिकाओं के अधिकारों और दुनिया भर में बालिकाओं के सामने आने वाली चुनौतियों को पहचानने के लिए 11 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस घोषित किया था। इसका उद्देश्य बालिकाओं के प्रति समाज में भेदभाव, हिसा, शिक्षा में मौके नहीं मिल पाने जैसी बातों को उठाना हैं। इस समय बालिकाएं हर क्षेत्र में नए आयाम स्थापित कर रही है। समाज में महिलाओं को देवी का दर्जा प्राप्त है। सामाजिक, राजनीतिक समेत अन्य क्षेत्रों में महिलाओं की बढ़ती भागीदारी के सुखद परिणाम भी सामने आ रहे हैं। शिक्षा सहित कई क्षेत्रों में जिले की बालिकाएं अपनी अलग पहचान कायम करने में जुटी है। शहर हो या ग्रामीण क्षेत्र महिलाएं अब पुरुषों के कदम से कदम मिलाकर आगे बढ़ रही है। बालिकाओं के मानसिक व आर्थिक विकास के लिए उनके अधिकार के प्रति जागरूक करने की दिशा में सरकारी तथा गैर सरकारी स्तर पर भरपूर प्रयास किया जा रहा है। जिले में हजारों महिलाएं पेटिग, सिलाई कटाई का प्रशिक्षण प्राप्त कर आर्थिक कमाई कर रही है। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस पर बालिकाओं के अधिकार की रक्षा समेत उनके जीवन के विभिन्न पहलुओं पर गंभीर मंथन करना होगा। बालिकाओं के विकास में शिक्षा काफी मायने रखता। नि:शुल्क शिक्षा के क्षेत्र में कार्य करने वाली शिक्षिका मेरी आडलीन ने बताया कि बालिकाओं को जीवन में आगे बढ़ने के लिए संघर्ष से घबराना नहीं चाहिए। कड़ी मेहनत से ही सफलता मिलती हैं। शिक्षा के बाद कॅरियर के साथ बेहतर गृहस्थ का निर्माण भी होगा। एमजेके कॉलेज के एनएसएस की अधिकारी डॉ. अनुराधा पाठक ने कहा कि सामाजिक क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी से समाज का समुचित विकास होगा। महिलाओं के सम्मान से ही समाज की गरिमा बढ़ेगी। मां, बहन, बेटी के रूप में महिलाओं को अपनी बुद्धि व विवेक के साथ काम करने की स्वतंत्रता होना चाहिए। पुरुषों का मार्गदर्शन जरूरी है ना कि दबाव का। प्रिसी रोबर्ट का कहना है कि बालिकाओं के लिए शिक्षा काफी मायने रखता है। महिलाओं सशक्तीकरण के दिशा में सरकारी व गैर सरकारी स्तर पर महिलाओं की दशा व दिशा में सुधार के अनेक योजनाएं चलाए जा रहे हैं। प्रियका पांडेय ने कहा कि दहेज प्रथा व बाल विवाह के खिलाफ महिलाओं की जागरूकता काफी कारगर साबित हो रहा है।