एक चिकित्सक व तीन कर्मियों के भरोसे चल रहा पशु अस्पताल

बेतिया। दिन बुधवार। दोपहर के 12 बजे हैं। इमली चौक स्थित पशु चिकित्सालय में चिकित्सक नहीं है

By JagranEdited By: Publish:Wed, 03 Mar 2021 11:27 PM (IST) Updated:Wed, 03 Mar 2021 11:27 PM (IST)
एक चिकित्सक व तीन कर्मियों के भरोसे चल रहा पशु अस्पताल
एक चिकित्सक व तीन कर्मियों के भरोसे चल रहा पशु अस्पताल

बेतिया। दिन बुधवार। दोपहर के 12 बजे हैं। इमली चौक स्थित पशु चिकित्सालय में चिकित्सक नहीं हैं। कई पशुपालक आए हैं, जिन्हें अपने पशु के उपचार के लिए सुझाव लेना है तो कुछ चिकित्सक से अपने घर पशु का उपचार करने के लिए चलने का निवेदन करने आए हैं। लेकिन चिकित्सक नहीं हैं। बताया गया कि वे जिला पशु कार्यालय में आयोजित मासिक बैठक में शामिल होने गए है। इस कारण कंपाउंडर को ही अस्पताल की कमान संभालनी पड़ी।

कंपाउंडर जावेद खान ने बताया कि औसतन यहां पर प्रतिदिन 30 से 40 मवेशियों का इलाज किया जाता है। बताया कि संसाधन व कर्मियों की कमी है। अस्पताल में एक चिकित्सक, एक कंपाउंडर, चपरासी व चौकीदार हैं। जबकि अन्य कई पद काफी दिनों से रिक्त है। जिला मुख्यालय में बसवरिया चौक के समीप संचालित पशु चिकित्सालय का अपना भवन तक नहीं है। वह बेतिया राज की जमीन पर है। बेतिया राज से प्राप्त लीज 1981 में ही समाप्त हो चुका है।

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अस्पताल में नहीं हैं कई दवाएं

पशु चिकित्सालय में मवेशियों की गंभीर बीमारियों के इलाज की कई दवाएं नहीं हैं। कंपाउंडर ने बताया कि मवेशियों की छोटी-मोटी बीमारियों की दवा उपलब्ध है। जो भी इलाज के लिए मवेशी लाते हैं कोशिश की जाती हैं कि अस्पताल की ओर से उन्हें दवा दी जाए। लेकिन कुछ दवाइयां नहीं हैं जिसके कारण उन्हें बाहर से दवा खरीदनी पड़ती है।

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अस्पताल में खाली हैं कई पद

अस्पताल में मात्र एक चिकित्सक व चार कर्मी है। जबकि एक कर्मी डिक्टेशन पर कार्यरत है। अस्पताल में अभी क्लर्क, ड्रेसर व स्वीपर का पद खाली है। साफ-सफाई के लिए नप सफाई कर्मियों से मदद ली जाती है।

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पशुओं का इलाज कराने आए लोग

जांच के दौरान पाया गया कि कोईरी टोला के राहत हुसैन अपने बकरे की जांच कराने के लिए आए थे। उनके बकरे को खांसी हो गई थी। वहीं सुभाषनगर के तरूण कुमार अपने कुत्ते की जांच करा दवा लेने के लिए आए थे। बवसरिया के धर्मेंद्र कुमार अपनी बकरी को लेकर आए थे। उनकी बकरी पिछले कुछ दिनों से कुछ नहीं खा रही थी। नाजनी चौक के शोएब अख्तर तथा बगही के लक्ष्मण राम भी बकरी संबंधित बीमारियों के इलाज के लिए अस्पताल में पहुंचे थे। सबने कहा कि अस्पताल में संसाधनों की कमी है। लेकिन उपलब्ध संसाधन में इलाज करने वाले चिकित्सक अस्पताल में पर्याप्त समय देते हैं।

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