बेतिया महाराज ने लगवाई थी वाटिका, नाम पड़ गया हरिवाटिका

बेतिया। पूर्व दिशा के शहर के प्रवेश द्वार हरिवाटिका चौक से कई रास्ते गुजरते है। यह ऐ

By JagranEdited By: Publish:Fri, 04 Dec 2020 12:30 AM (IST) Updated:Fri, 04 Dec 2020 12:30 AM (IST)
बेतिया महाराज ने लगवाई थी वाटिका, नाम पड़ गया हरिवाटिका
बेतिया महाराज ने लगवाई थी वाटिका, नाम पड़ गया हरिवाटिका

बेतिया। पूर्व दिशा के शहर के प्रवेश द्वार हरिवाटिका चौक से कई रास्ते गुजरते है। यह ऐतिहासिक चौक है। यहां से एक रास्ता बस स्टैंड की ओर, दूसरा रास्ता स्टेशन चौक की ओर जाता है। दक्षिण दिशा की ओर जाने वाला रास्ता बेतिया महाराज के द्वारा बनाई गई शिव मंदिर के तरफ जाता है। स्थानीय बुजुर्गों का कहना हैं कि महाराज के शासन काल में यहां पुष्पवाटिका थी। पुष्पवाटिका में चंपा, चमेली, गुलाब सहित तरह-तरह के पुष्प खिले रहते थे। बेतिया महाराज ने इस इलाके में एक भव्य शिव मंदिर का भी निर्माण कराया था। मंदिर के सामने विशाल कुंआ खोदवाया गया था। दोनों आज भी है। भारतीय स्टेट बैंक के सेवानिवृत्त कर्मी हरिवाटिका निवासी 84 वर्षीय रमेशचंद्र प्रसाद बताते हैं कि बेतिया के महाराज किसी भी यात्रा के दौरान राजदेवड़ी से निकलते थे, तो हरिवाटिका शिव मंदिर में आकर पूजापाठ के बाद ही यात्रा आरंभ करते थे। वापसी के दौरान भी मंदिर में पूजा के बाद ही देवड़ी में लौटते थे। श्री प्रसाद ने बताया कि यहां विभिन्न पुष्पों की वाटिका थी। इस कारण मुहल्ले का नाम कलांतर में हरिवाटिका पड़ गया। हरिवाटिका स्थित शिव मंदिर के पुजारी उपेंद्र तिवारी ने बताया कि यह शिव मंदिर बेतिया द्वारा स्थापित किया गया है। इस मंदिर परिसर में बहुत सुंदर वाटिका थी। महाराज ने ही वाटिका लगवाई थी। शिव का पर्यायवाची शब्द हरि है। इसलिए इस वाटिका को हरिवाटिका के नाम से लोग जानते थे। बाद में मुहल्ले के नाम भी हरिवाटिका पड़ गया। कोट

बेतिया महाराज ने शहर के सौंदर्य के लिए वाटिका की स्थापना कराई थी। बुजुर्ग बताते हैं कि उस वक्त इसका सौंदर्य देखते बनता था। कभी - कभी महाराजा की सवारी भी आती थी। लेकिन राज के विघटन के बाद रिहायशी मोहल्ले में तब्दील हो गया। लेकिन नामकरण वहीं रह गया।

--- रमेशचंद्र प्रसाद, नागरिक कोट

महाराज ने शिवमंदिर का निर्माण कराया था। मंदिर परिसर में पुष्प बाटिका लगी थी। उसी पुष्प वाटिका से फूल तोड़ कर देवाधिदेव को अर्पित किया जाता था। राजतंत्र खत्म होने के बाद वह वाटिक खत्म हो गई। अब किसी तरह से मंदिर बचा हुआ है।

उपेंद्र तिवारी, पुजारी, शिवमंदिर, हरिवाटिका

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