ललभितिया का दीदार करने वालों पर फिर लगी पाबंदी

वीटीआर के मंगुराहां वन प्रक्षेत्र में ललभितिया की प्राकृतिक सुंदरता और ग्रासलैंड में वन्यजीवों को नजदीक से देखने तथा जंगल सफारी का आनंद उठाने की चाह रखने वाले पर्यटकों की उम्मीद पर एक बार फिर कोरोना महामारी ने ग्रहण लगा दिया है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Apr 2021 01:41 AM (IST) Updated:Wed, 21 Apr 2021 01:41 AM (IST)
ललभितिया का दीदार करने वालों पर फिर लगी पाबंदी
ललभितिया का दीदार करने वालों पर फिर लगी पाबंदी

बेतिया । वीटीआर के मंगुराहां वन प्रक्षेत्र में ललभितिया की प्राकृतिक सुंदरता और ग्रासलैंड में वन्यजीवों को नजदीक से देखने तथा जंगल सफारी का आनंद उठाने की चाह रखने वाले पर्यटकों की उम्मीद पर एक बार फिर कोरोना महामारी ने ग्रहण लगा दिया है। राज्य सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन के मुताबिक वन प्रशासन ने जंगल सफारी समेत अन्य गतिविधियों पर 15 मई तक रोक लगा दिया है, जिसके कारण बिहार तथा अन्य राज्यों से मंगुराहा में जंगल को नजदीक से देखना संभव नहीं हो पाएगा। पिछले वर्ष कोरोना के कारण लॉकडाउन के बाद स्थिति सामान्य होने पर पर्यटकों के लिए वीटीआर को खोल दिया गया था। तब से करीब पांच माह तक पर्यटकों ने इको टूरिज्म का आनंद उठाया। पिछले वर्ष वन प्रशासन को पर्यटकों के लिए टाइगर रिजर्व को बंद करना पड़ा था, जिससे विभाग को लाखों रुपये राजस्व की क्षति उठानी पड़ी। कारण कि पर्यटकों के लिए इको पार्क कैंप, बंबू हट आदि में आवासन पर भी रोक लगा दी गई थी और उनसे प्राप्त होने वाला राजस्व बंद हो गया था। मंगुराहां इको टूरिज्म प्रबंधक विवेक बादल ने बताया कि कोरोना वायरस के पूरे देश में बढ़ते मामले ने केंद्र और राज्य सरकार की चिता बढ़ा दी है। सरकार लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए कई गाइडलाइन जारी की है, जिसको गंभीरता से लेते हुए वन विभाग द्वारा पर्यटकों के लिए टाइगर रिजर्व क्षेत्रों में प्रवेश करने, सफारी करने आदि पर अगले आदेश के लिए पूरी तरह से रोक लगा दी गई है। बता दें कि पिछले वर्ष दस माह पर्यटकों के प्रवेश पर रोक लगी रही, जिसे 11 नवंबर 2020 को वन विभाग ने कुछ शर्तों के साथ पर्यटकों के लिए पुन: खोल दिया था। वन्य जीवों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए टाइगर रिजर्व प्रशासन द्वारा पर्यटकों का प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया गया है। कोरोना आपदा में विभाग के लिए वन्य जीवों की संरक्षा महत्वपूर्ण है।

सुनील कुमार पाठक

वन प्रक्षेत्र पदाधिकारी, मंगुराहां

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