अब महिलाओं को गन्ना की रोपनी व बीज निकालने में नहीं करना होगा झुक कर काम
रामनगर प्रखंड के बुजुर्ग किसान विनय पांडेय ने एक यंत्र विकसित किया है। जो गन्ना की खेती में काफी कारगर साबित हो रहा है। इसका सबसे अधिक फायदा महिला मजदूरों को होगा।
बगहा । रामनगर प्रखंड के बुजुर्ग किसान विनय पांडेय ने एक यंत्र विकसित किया है। जो गन्ना की खेती में काफी कारगर साबित हो रहा है। इसका सबसे अधिक फायदा महिला मजदूरों को होगा। बीज निकालने व गेडी काटने वाली मशीन( बड कम शूगर केन सीड कटर व शूगर केन प्लांटर) नाम से दो मशीन विकसित कर किसान खेती से जुड़े कार्य कर रहे हैं। मजे की बात यह है कि इसको तैयार करने में खुद के मैकेनिज्म का इस्तेमाल किया है।
कुछ अलग करने की चाह में उन्होंने किसानों के लिए कई उपकरण बना डाले। इसके लिए वह स्थानीय बाजार से ही लोहा और अन्य सामग्री खरीदकर यंत्र बनाते हैं। इस बार उन्होंने गन्ना के गेड़ी काटने व बीज निकालने व गन्ना सफाई का यंत्र बनाया है। जो काफी कारगर है। इससे ना सिर्फ कृषकों के गन्ना की खेती की लागत 75 प्रतिशत तक कम आ रही है। वहीं खेत में काम करने वाले मजदूरों की राह भी आसान हुई है। विशेषकर महिला मजदूरों को। बताते हैं कि यह यंत्र मजदूरों को ध्यान में रखकर बनाया गया है। जिससे उनको कम मेहनत करनी पड़े। झुककर काम करने की जगह वे बैठ कर काम कर सकें। वहीं बढ़ती महंगाई में खेती के लागत को कम किया जा सके।
----------------------------
75 प्रतिशत तक की बचत
---------------------------
वैसे तो पांडेय ने बहुत सारे यंत्र अपने तकनीक से बनाया है। मुख्य रूप से गन्ना के लिए काम कर रहे किसान के शूगरकेन प्लांटर, शूगरकेन बड कटर के साथ घास निकालने की मशीन वीडर की काफी सराहना हो रही है। कृषि वैज्ञानियों ने भी इस यंत्र की सराहना की है। इसका कारण यह है कि यह खेत में काम करने वाले मजदूरों के लिए भी काफी कारगर साबित हो रहा है। गन्ना काटने के बाद गन्ना सफाई यंत्र (शूगरकेन क्लीनर मशीन), एकल गांठ विधि (शूगरकेन बड कटर) व गन्ना बुआई यंत्र (शूगरकेन प्लांटर), कम जुताई द्वारा गन्ना बुआई यंत्र (वीडर) जैसे उपकरण का निर्माण किया है। इन यंत्रों से गन्ने की खेती में लागत पर 75 प्रतिशत तक की बचत होती है। एकल गांठ विधि के द्वारा मात्र आठ क्विटल प्रति एकड़ ही बीज लगता है। जबकि सामान्य तौर पर एक एकड़ में किसानों का 30 से 35 क्विटल बीज लगता है। इन यंत्रों से खेती करने पर सिचाई में पानी की बचत, घास का नहीं निकलना। जिससे इसको हटाने के लिए कम दवा की खपत होती है।
------------------------------
बयान : इन यंत्रों को प्रचारित किया जा रहा है। इसको किसान काफी पसंद भी कर रहे हैं। इससे गन्ने की खेती में लागत काफी कम आती है। सभी यंत्रों को देखा व परखा गया है। जो किसानों के लिए फायदेमंद साबित होगा।
डॉ. आरपी सिंह, वरिष्ठ विज्ञानी व अध्यक्ष कृषि विज्ञान केंद्र, नरकटियांगज