सिचाई विभाग परिसर में लाखों की मशीनें कबाड़ होने के कगार पर

पश्चिमी चंपारण। नगर स्थित सिचाई विभाग परिसर में लाखों की मशीनें कबाड़ होने के कगार पर हैं। विभाग की अनदेखी के कारण ना सिर्फ ये मशीन रही हैं ।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 27 May 2020 09:40 PM (IST) Updated:Wed, 27 May 2020 09:40 PM (IST)
सिचाई विभाग परिसर में लाखों की मशीनें कबाड़ होने  के कगार पर
सिचाई विभाग परिसर में लाखों की मशीनें कबाड़ होने के कगार पर

पश्चिमी चंपारण। नगर स्थित सिचाई विभाग परिसर में लाखों की मशीनें कबाड़ होने के कगार पर हैं। विभाग की अनदेखी के कारण ना सिर्फ ये मशीन रही हैं । बल्कि रात में इसके उपकरणों को चोरी भी किया जा रहा है। सूत्रों की माने तो इस खरीद बिक्री के खेल में विभाग के कुछ कर्मियों की मिलीभगत भी है। खराब पड़े इन यंत्रों को बचाने वाला फिलहाल कोई दिख नहीं रहा है।

दोन नहर के खुदाई के कार्य में किया गया था इस्तेमाल

ज्ञात हो कि (70 के दशक में) दोन नहर के खुदाई के क्रम में लाखों रुपये की लागत के कई तरह के उपकरण जैसे स्टीमर, ट्रैक्टर, खुदाई मशीन, रोलर के अलावा कई तरह के बड़े बड़े यंत्र इस कार्य के लिए मंगाए गए थे। इस कार्य को पूरे हुए भी कई दशक बीत गए। इस बीच कई अधिकारी आते जाते रहे तो, कई सेवानिवृत्त होकर चले गए। पर, रह गए तो ये सारे मशीन जिनका कोई उपयोग नहीं रहा। जिसके कारण इनके पार्टस धीरे धीरे सड़ते गए। आलम यह है कि लाखों की लागत वाले ये यंत्र बर्बादी के कगार पर है।

स्थानांतरित हो गया विभाग, राजस्व का लग रहा चूना

सालों पहले ये यंत्र सिचाई विभाग के यांत्रिक डिवीजन के अधीन थे। पर, अब इस विभाग का स्थानांतरण वाल्मिकीनगर में हो गया है। जब इन यंत्रों को देखने वाला कोई नही रहा। तो इसपर असामाजिक तत्वों की नजर पड़ गई। जिसके कारण कई यंत्रों के पार्टस रात के अंधेरे में खोलकर बेचे जा चुके हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इन यंत्रों के ठीक सामने दोन नहर प्रमंडल व थोड़ी दूर पर ही त्रिवेणी नहर का कार्यालय भी है। वहीं सड़ रहे यंत्रों को अगर नीलाम कर दिया जाता तो, अच्छा खासा रुपया विभाग को प्राप्त हो जाता। हालांकि इस मामले में दोनों नहर के अधिकारी अपने अधिकार क्षेत्र में नही होने की बात कहकर पल्ला झाड़ लेते है। जिससे असमाजिक तत्वों को हौसला बुलंद है।

बयान : ये उपकरण यांत्रिक विभाग के अन्तर्गत आता है। जिसका कार्यालय स्थानांतरित हो गया है। इसके अधिकारी कब आते है कब जाते है इसका पता नहीं चल पाता।

अशर्फी ठाकुर, कनीय अभियंता, दोन नहर

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