जल संरक्षण के लिए गांवों में चल रही मुहिम, लोगों को किया जा रहा जागरूक

बगहा। बारिश की पानी को संरक्षित कर भूगर्भीय जल संचयन अब समय की मांग बन गई है। दिन पर दिन ब

By JagranEdited By: Publish:Mon, 05 Apr 2021 12:35 AM (IST) Updated:Mon, 05 Apr 2021 12:35 AM (IST)
जल संरक्षण के लिए गांवों में चल रही मुहिम, लोगों को किया जा रहा जागरूक
जल संरक्षण के लिए गांवों में चल रही मुहिम, लोगों को किया जा रहा जागरूक

बगहा। बारिश की पानी को संरक्षित कर भूगर्भीय जल संचयन अब समय की मांग बन गई है। दिन पर दिन बढ़ रहे लगातार जल संकट से उबरने के लिए क्षेत्र की कई संस्थाएं भी आगे बढ़कर काम कर रही हैं। इसमें सरकारी प्रतिष्ठान भी बारिश का पानी सहेजने के लिए उपक्रम कर रहे हैं। जिसके तहत रेन वाटर हार्वेस्टिग आदि का सिस्टम विकसित कर पीट बनाते हुए जल संरक्षण का काम प्रारंभ कर दिया गया है। स्वयंसेवी संस्था जीईएजी के द्वारा बगहा दो प्रखंड के लक्ष्मीपुर रमपुरवा पंचायत के झंडुआटोला व बीनटोली में लोगों को जल संरक्षण के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा। संस्था के परियोजना समन्वयक रविप्रकाश मिश्र ने बताया कि इसमें छोटे परिवारों के लिए कम से कम ढाई फीट गहराई के साथ चार से पांच फीट लंबाई चौड़ाई का एक गड्ढा होगा। जिसमें बहुत कम खर्च में वाटर सेविग पीट तैयार हो जाता है। जिसमें बरसात के एक सीजन में औसत बारिश होने पर दो हजार लीटर तक पानी जमा किया जा सकता है। जो एक परिवार के लिए पर्याप्त है। सरकारी दफ्तरों में भी ऐसा किया जा रहा है। लेकिन, बड़े पैमाने पर काम करना हर परिवार या व्यक्ति के लिए आसान नहीं होने के कारण संस्था छोटे पैमाने पर काम करती है।

जल संरक्षण आज की जरूरत :-

मौसम वैज्ञानिक कैलाश पांडेय ने बताया कि वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम के अलावा भी जल संरक्षण की पहल की जा सकती है। वर्षा जल संग्रह कर भू गर्भीय जल के स्तर को बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए सबसे आवश्यक है समाज के हर व्यक्ति जागरूक हों। छोटे छोटे गड्ढों के माध्यम से भी जल संचयन किया जा सकता है। जिसके लिए संस्था द्वारा कार्यशाला के माध्यम से ग्रामीणों को एकत्रित कर प्रशिक्षण भी दिया जाता है। जो एक आसान और किफायती तरीका भी है।

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