11 वर्ष बाद परिजनों से मिली जैनुल नेशा

जैनुल नेशा के घर वाले यह मान बैठे थे कि अब वह इस दुनिया में नहीं है। अगर होगी भी तो उससे मुलाकात संभव नहीं है। चूंकि जैनूल को खोजने की हर तरकीब आजमा कर परिवार वाले निराश हो चुके थे।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 18 Sep 2018 09:22 PM (IST) Updated:Tue, 18 Sep 2018 09:22 PM (IST)
11 वर्ष बाद परिजनों से मिली जैनुल नेशा
11 वर्ष बाद परिजनों से मिली जैनुल नेशा

बगहा। जैनुल नेशा के घर वाले यह मान बैठे थे कि अब वह इस दुनिया में नहीं है। अगर होगी भी तो उससे मुलाकात संभव नहीं है। चूंकि जैनूल को खोजने की हर तरकीब आजमा कर परिवार वाले निराश हो चुके थे। अचानक 11 वर्ष बाद जैनूल अपने घर पहुंची तो उसके परिवार वाले भी दंग रह गए। जैनूल अपने परिजनों को देखकर फफक पड़ी। दरअसल, यह मामला प्रखंड के धोकराहा पंचायत के बभनौली की है। जहां के निवासी सुखल मियां की पत्नी 61 वर्षीय जैनुल नेशा अपने घर मंगलवार को वापस आई । यह सब संभव हुआ है। केरल के दिव्य करूणया चैरिटेबल ट्रस्ट के सहयोग से। ट्रस्ट के सदस्यों ने मंगलवार को उक्त महिला को ना सिर्फ घरवालों के सुपूर्द किए। बल्कि स्थानीय थाने में इसकी लिखित सूचना भी थी। बात वर्ष 2006-07 की है। कासिम मियां की पत्नी मानसिक रूप से बीमार थी। उनका मानसिक इलाज चल रहा था। एकाएक वह दवा खाने के बाद बेचैन होकर घर से निकल गई। घर वालों ने उन्हें बहुत ढूंढ़ा पर वह नहीं मिली। इस दौरान उन्हें खुद पता नहीं है कि कैसे केरल के एर्नाकुलम में पहुंच गई। करीब पांच सालों तक भटकने के बाद संस्था के सदस्यों की नजर इन पर पड़ी। उनका इलाज कराया गया। संस्था के तरफ से आई एलिजाबेथ ने बताया कि 06 साल पहले सड़क पर भटकते इन्हे देखा गया था। जहां से अपने साथ लाए। इनके मानसिक रोग का इलाज कराया गया पर ये अपने घर का अता पता बताने में असमर्थ थी। एर्नाकुलम से आए सामाजिक कार्यकर्ता जोमोन ने बताया कि एक माह पहले इन्होंने रामनगर एवं धोकराहा का नाम लिया। फिर अपने मायका बेतिया के बारे में बताया। जिसके बाद इंटरनेट से इस स्थान को ढूंढ़ते हुए हम रामनगर थाना में पहुंचे है। बता दें कि उक्त महिला का सबसे छोटा बेटा एजाज आज 16 साल का है। जो अपने माता को देखकर काफी खुश हो गया। पति सुखल मियां कहते है कि हम तो इन्हे आजतक मरा ही मान लिए थे। बहरहाल इसके लिए महिला के पुत्र भूट्टू मियां, साहेब मियां, पुत्री नजरून एवं ग्रामीण संजय श्रीवास्तव ने संस्था वालों के प्रति आभार प्रकट किया है। तीन बेटा और एक बेटी की माता जैनुल अपने सभी घर एवं गांव वालों को पहचान रही है। पुलिस निरीक्षक सह थानाध्यक्ष राजीव कुमार ने बताया कि कागजी प्रक्रिया एवं घरवालों की पहचान के बाद उन्हें परिजनों के हवाले कर दिया गया है।

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