दीपावली पर मिट्टी के दीये की बढ़ी डिमांड

बगहा। दीपावली के उपलक्ष्य में दो दिन पहले से ही दीया जलाने का कार्यक्रम प्रारंभ हो जाता है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 02 Nov 2021 11:43 PM (IST) Updated:Tue, 02 Nov 2021 11:43 PM (IST)
दीपावली पर मिट्टी के दीये की बढ़ी डिमांड
दीपावली पर मिट्टी के दीये की बढ़ी डिमांड

बगहा। दीपावली के उपलक्ष्य में दो दिन पहले से ही दीया जलाने का कार्यक्रम प्रारंभ हो जाता है। कई संस्थाएं धनतेरस को ही दीपदान जैसे कार्यक्रम का आयोजन करने लगते हैं।

वन विकास भारती के संस्थापक सह समाजसेवी अरुण कुमार सिंह ने बताया कि इस दिन दीप दान करने की परंपरा है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन दीपदान करने से मानव की अकाल मृत्यु नहीं होती है। इसको लेकर पिछले कई वर्षों से उनके द्वारा नैतिक जागरण मंच वेलफेयर ट्रस्ट के बैनर तले दीपदान का आयोजन किया जाता है। मंच के सचिव निप्पू कुमार पाठक ने बताया कि एक दीया शहीदों के नाम कार्यक्रम बीते कई वर्षों से चल रहा। वार्ड संख्या एक में काली स्थान मंदिर परिसर में कार्यक्रम का आयोजन हुआ। जिसमें छात्रों के अलावा अधिवक्ता अरविद कुमार सिंह, भाजपा नेता हृदयानंद दुबे व अन्य उपस्थित थे।

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लोगों ने कहा :-

विगत दिनों कोरोना संक्रमण के चपेट में आने से कई लोगों ने अपनी जान गवां दी है। इससे बचने के लिए देशहित को ध्यान में रखते हुए हर व्यक्ति को विभिन्न माध्यमों से जागरूक करते हुए साफ सफाई को लेकर को जागरूक रहने का संदेश दिया गया है। ऐसे संक्रमण से बचने के लिए पर्यावरण की सुरक्षा हेतु आवश्यक है कि हम प्रदूषण रहित दीपावली मनाएं। शुद्ध सरसों या तिल के तेल से गोबर के दीया में दीपावली मनाने का संदेश देते हुए आम आदमी से प्रदूषण रहित दीपावली मनाने का संदेश दिया।

जयकुमार प्रसाद, सेवानिवृत स्टेशन अधीक्षक

--- समाज को स्वस्थ रखने के लिए प्रदूषण मुक्त वातावरण होना अनिवार्य है। यह तभी संभव है जब इसको लेकर हर व्यक्ति जागरूक हो। वर्तमान परिवेश में कोरोना जैसी वैश्विक महामारी में हमने अपनों को खो दिया है। दोबारा ऐसी परिस्थिति से बचने के लिए हम सभी को प्रदूषण मुक्त वातावरण रखना आवश्यक है। हर व्यक्ति अपना कर्तव्य मानते हुए इसको लेकर अपना फर्ज पूरा करें।

रामाशीष प्रसाद, समाजसेवी

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मिट्टी के दीयों पर महंगाई का साया :-

कुम्हारों की मानें तो इस बार अधिक बरसात के चलते मिट्टी का दाम बढ़ गया है। जिसके कारण दीये की लागत बढ़ी है। राजेंद्र कुमार ने बताया कि पिछले साल छह सौ रुपये में एक ट्रैक्टर मिट्टी आसानी से आ जाता था। जो इस बार एक हजार से 12 सौ रुपये तक बड़ी मुश्किल से उपलब्ध हुआ है। इसको लेकर दीया का दाम बढ़ गया है। विगत वर्ष 60 से 70 रुपये सैकड़ा मिलने वाला दीया इस बार दो सौ रुपया सैकड़ा मिल रहा है।

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इनसेट :-

धनतेरस के अवसर पर बाजार में ज्वैलरी दुकानों में सबसे अधिक रौनक दिख रही है। यहां चांदी का दीया व विक्टोरिया का सिक्का लोगों के आकर्षण का विषय बना हुआ है। इसको लेकर हर ग्राहक का रूझान ज्वेलरी दुकान की ओर हो रहा है। अनिल सोनी ने कहा कि अमूमन धनतेरस के अवसर पर लोग धातु का सामान खरीदना अधिक पसंद करते हैं। चांदी का दीया खरीदने से उनका दोनों कार्य एक साथ सिद्ध हो जाता है। जैसे कि चांदी का सामान भी ले लिए और उसी में भगवान का दीपक भी प्रज्वलित कीर दीपावली की खुशी भी मना लिए।

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धर्म के अनुसार धनतेरस का विशेष महत्व :-

आनंदनगर निवासी सुबोध कुमार मिश्र ने बताया कि शास्त्रों में सबसे शुभ मिट्टी के दीये को ही माना जाता है। बड़े से बड़े कार्यक्रम, पूजा या अनुष्ठान में मिट्टी या धातु के पात्र में ही अखंड दीप जलाने की परंपरा रही है। हालांकि इसके विकल्प के तौर पर कईलोग मोमबत्ती या बिजली बत्ती आदि का उपयोग कर लेते हैं। लेकिन परंपरा व विधान के अनुसार मिट्टी या धातु यथा पीतल,चांदी आदि का ही दीपक जलाना पूजा पाठ में शुभ माना गया है।

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