हफ्ते में दो दिन आते चिकित्सक, पांच दिन गार्ड और परिचारिका के भरोसे अस्पताल

बगहा। बगहा अनुमंडल के ग्रामीण आबादी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित है। इस इलाके में स्वास्थ्य

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Mar 2021 12:41 AM (IST) Updated:Thu, 25 Mar 2021 12:41 AM (IST)
हफ्ते में दो दिन आते चिकित्सक, पांच दिन गार्ड और परिचारिका के भरोसे अस्पताल
हफ्ते में दो दिन आते चिकित्सक, पांच दिन गार्ड और परिचारिका के भरोसे अस्पताल

बगहा। बगहा अनुमंडल के ग्रामीण आबादी बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित है। इस इलाके में स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध कराने के चाहे जितने भी दावे किए गए, जमीनी सच्चाई कुछ अलग ही दिखाई देती है।

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हरनाटांड़ को छोड़कर थरुहट व आदिवासी क्षेत्र में संचालित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उप स्वास्थ्य केंद्र को खुद इलाज की जरूरत है। बदहाली का हाल यह है कि इन अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र और उप स्वास्थ्य केंद्र पर डॉक्टर से लेकर नर्स तक की कमी है। कई उप स्वास्थ्य केंद्र ऐसे हैं। जहां कभी-कभी ही ताला खुलता है। मंगलवार को लौकरिया थाने के बगल में अवस्थित अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का जायजा लिया। जहां चिकित्सक और नर्स को छोड़ बाकी पांच-पांच कर्मी उपस्थित मिले। लेकिन जिसके लिए मरीज अस्पताल पहुंचते हैं। वे नदारद मिले। आठ स्वास्थ्यकर्मियों में से पांच रहे नदारद :

लौकरिया अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, मंगलवार दोपहर 11:30 बजे। यहां न तो चिकित्सक का अता पता था और न ही एएनएम का। कहने को तो यहां कागज में चिकित्सक अफजल आलम के अलावा आठ स्वास्थ्यकर्मियों की ड्यूटी है। लेकिन मौके पर दो परिचारिका निशा कुमारी व हशीबुद्दीन अंसारी के साथ एक चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी रामनाथ राम मौजूद मिले। एक गार्ड सुपरवाइजर दीपू कुमार यादव व महिला गार्ड मौजूद मिले। चिकित्सक व एएनएम के बारे में जानकारी लेने पर इन्होंने बताया कि चिकित्सक सप्ताह में दो दिन ही आते हैं। जबकि तीन कर्मी क्रमश: चतुर्थवर्गीय कर्मचारी मनोज शर्मा, स्वास्थ्य कार्यकर्ता रामबचन पासवान एवं एएनएम सुधा एडवर्ड इस पूरे महीने से गायब हैं। वहीं इनके अलावा लिपिक रजनीश रंजन दो दिन से तो एएनएम रजनी देवी बीते तीन दिनों से नदारद हैं। मरीजों को नहीं मिलता समुचित लाभ लौकरिया थाने के बगल में अवस्थित इस अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र की स्थिति बदहाल है। बदहाली की स्थिति यह है कि यहां की पूरी व्यवस्था को खुद इलाज की जरूरत है। यहां स्वास्थ्यकर्मियों से लेकर गार्ड की एक लंबी चौड़ी फौज तो खड़ी की गई है लेकिन यहां इसका समुचित लाभ मरीजों को नहीं मिलता है। आप खुद से अंदाजा लगा सकते हैं कि जब चिकित्सक हफ्ते में दो दिन ही आते हैं तो भला मरीजों को दवाएं कैसे मिल पाती होंगी। ऐसे में हफ्ते में पांच दिन या तो इन स्वास्थ्यकर्मियों के द्वारा मरीजों को दवा उपलब्ध होती होंगी या फिर उन्हें बिना दवा लिए ही बैरंग वापस लौटना पड़ता है।

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